चंडीगढ़, 19 जून (ट्रिन्यू)
हरियाणा के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रमुख विपक्षी दल- कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। पूर्व मंत्री किरण चौधरी तथा कांग्रेस की कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को भाजपा ज्वाइन करवा कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा हताश नहीं हुई है। अलबत्ता विधानसभा चुनावों को लेकर और भी गंभीर हो गई है। भाजपा ने कांग्रेस के विकेट चटकाने शुरू कर दिए हैं।
किरण और श्रुति चौधरी के नाम पर हुई यह शुरुआत आगे और बढ़ सकती है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ही नहीं जननायक जनता पार्टी (जजपा) और इनेलो के भी कई चेहरों के साथ भाजपा संपर्क बनाए हुए है। सोनीपत जिले में जजपा के दो वरिष्ठ नेताओं- भूपेंद्र सिंह मलिक और पवन खरखौदा को पहले ही पार्टी ज्वाइन करवाई जा चुकी है। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के एक मौजूदा विधायक के अलावा दो वरिष्ठ नेता भी संपर्क में हैं। अगर सब सही रहा तो आने वाले दिनों में उनकी ज्वाइनिंग भी हो सकती है।
हरियाणा की राजनीति बरसों तक ‘लाल’ परिवारों के इर्द-गिर्द चलती रही। मार्च-2005 में पहली बार ‘लाल सियासत’ ने उस समय सत्ता की ‘दहलीज’ लांघी थी जब भजनलाल की जगह भूपेंद्र हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अक्तूबर-2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल राज्य की राजनीति के चौथे ‘लाल’ थे। लेकिन उन्होंने इस तरह का चक्र चलाया कि आज तीनों लाल परिवारों के लोग भाजपा में हैं और भाजपा की जय बोल रहे हैं। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, चौ़ देवीलाल के बेटे चौ़ रणजीत सिंह के बाद अब चौ़ बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी और पोती श्रुति चौधरी भगवा रंग में रंग चुकी हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी जब हरियाणा मामलों के प्रभारी हुआ करते थे तो उस समय मनोहर लाल बतौर संगठन महामंत्री उनके साथ कार्यरत थे। मोदी और मनोहर की जोड़ी तभी से बनी हुई है। मनोहर की संगठन के प्रति निष्ठा, उनके अनुभव और वफादारी के चलते ही मनोहर लाल को 2014 में कई दिग्गज की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। लगातार सवा नौ वर्षों से भी अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल के प्रति पीएम नरेंद्र मोदी का विश्वास कम नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मनोहर लाल को करनाल से लोकसभा चुनाव लड़वाया गया। अब मनोहर लाल मोदी कैबिनेट में चुनिंदा हेवीवेट मंत्रियों में शामिल हैं। आवास एवं शहरी विकास के अलावा बिजली जैसे बड़े तीन मंत्रालयों की कमान मनोहर लाल को दी गई है। दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव में भी मनोहर लाल का पूरा दखल रहने वाला है। मोदी हरियाणा मामलों के प्रभारी रह चुके हैं। ऐसे में वे यहां के मतदाताओं की नब्ज को अच्छे से समझते हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जब ‘75’ पार के नारे के बावजूद चालीस सीटों पर जीत हासिल कर पाई तो मनोहर के विरोधियों ने यह प्रचार किया कि अब राज्य में नेतृत्व परितर्वन होगा। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में जिस तरह से मनोहर लाल की प्रशंसा की, उससे स्पष्ट हो गया था कि चालीस सीटों पर जीत को वे मनोहर की बड़ी उपलब्धि मानते हैं। हरियाणा जैसे राज्य में सरकार को रिपीट करना आसान काम नहीं है। अब चूंकि मनोहर लाल के पास करीब दस वर्ष सरकार चलाने का अनुभव है। वे दूसरे विपक्षी दलों को भी अच्छे से समझते हैं। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने काफी कुछ उन पर ही छोड़ा हुआ है। इतना ही नहीं, पहले नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष और फिर मुख्यमंत्री भी मनोहर लाल की पसंद से ह बनाया गया। लोकसभा चुनावों में पार्टी दस में से पांच सीटों पर हार गई। इसको लेकर भी विरोधियों ने मनोहर लाल पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश की लेकिन नेतृत्व ने इसे इसलिए गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि हरियाणा की तरह ही उत्तर प्रदेश व राजस्थान में भी नतीजे उम्मीद के हिसाब से नहीं आए।
बने राजनीति के पीएचडी
पूर्व सीएम चौ़ भजनलाल को हरियाणा की राजनीति का पीएचडी कहा जाता रहा। हालांकि, मार्च-2005 में भूपेंद्र हुड्डा ने भजन लाल की पीएचडी को फेल कर दिया था। लेकिन अब मनोहर लाल ने जिस तरह के सियासी दाव-पेंच चले हैं, उससे वे राजनीतिक के पीएचडी बनकर उभरे हैं। कांग्रेस की तरह ही भाजपा में भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कमी नहीं है। 2014 में जब मनोहर लाल पहली बार सीएम बने तो इस कुर्सी के चाहवान कई नेताओं ने उन्हें अनुभवहीन बताया था। सवा नौ वर्षों से भी अधिक समय तक राज करने वाले मनोहर लाल ने उन्हें बता दिया और जता दिया कि उन्हें हल्के में लेना सही नहीं होगा।