कुरुक्षेत्र, 18 दिसंबर (हप्र)
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर 13 राज्यों की लोक संस्कृतियों ने धमाल मचाया हुआ है। इन राज्यों के कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की छटा बिखेर कर पर्यटकों का मन मोहने का काम कर रहे हैं।
इस लोक संस्कृति से ब्रह्मसरोवर की फिजा विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति से रंग गई है। देखने में आया है कि उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र (एनजेडसीसी) की तरफ से आमंत्रित किए कलाकारों में हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य, जम्मू कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व देकू भद्रवाही कुड व रुमाल नृत्य, पंजाब का झूमर व मालवाई गिद्दा, राजस्थान का चारी, उतराखंड के कलाकार पांडव नृत्य, मध्य प्रदेश का गणगौर व पंथी नृत्य, झारखंड का पायका नृत्य, उड़ीसा का संबलपुरी नृत्य सहित राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य, डेरु गाथा गायन आदि की प्रस्तुति दी जा रही है।
पूछने पर केन्द्र के अधिकारी भूपेंद्र सिंह व राजेश बस्सी ने कहा कि एनजेडसीसी की तरफ से आमंत्रित किए गए ये कलाकार 19 दिसंबर तक अपनी प्रस्तुति देंगे और इसके बाद 20 दिसंबर से 13 राज्यों के 187 कलाकारों का नया ग्रुप महोत्सव में पहुंचेगा और 24 दिसंबर तक ये कलाकार अपने-अपने नृत्यों की महोत्सव में प्रस्तुति देंगे।
बड़ी तादाद में पहुंच रहे युवा
इन कलाओं को देखने वालों में प्रत्येक वर्ग के लोग शामिल हैं लेकिन युवा-युवतियों की काॅफी संख्या इनका आनंद उठा रहे हैं। बहुत युवा-युवतियों को तो कलाकारों के साथ नाचते कूदते देखा जा सकता है। यह ओरों के लिए अधिक आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इस महोत्सव में जो भी जा रहा है वह इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक पाए बिना नहीं रहता। वैसे भी देखने में आया कि इस बार बड़ी संख्या में लोग ब्रह्मसरोवर पर गीता जयंती के कार्यक्रम देखने के लिए आ रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा अन्य कार्यक्रमों में भी अच्छी खासी भीड़ है। रविवार को तो भीड़ ने अपने सभी रिकार्ड तोड़ दिए। कुरुक्षेत्र की सारी सड़कें कई घंटे तक जाम रही। आने वाले दिनों में यह भीड़ और अधिक होने का अनुमान हैै। महोत्सव 24 दिसंबर तक चलेगा।