सुभाष चौहान/निस
अम्बाला, 6 दिसंबर
प्रदेशभर की आशा वर्करों ने विभिन्न मांगों को पूरा कराने को लेकर सोमवार को गृह मंत्री अनिल विज के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त कर रखे थे। जबकि डीएसपी रामकुमार सहित पुलिस के अनेक अधिकारी मौजूद थे। प्रदर्शनकारी आशा वर्करों ने इस दौरान सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि उनकी मांगों को एक साल से पूरा नहीं किया है।
आशा वर्कर यूनियन की राज्य महासचिव सुनीता ने बताया कि आशा वर्करों ने कोरोना योद्धा के रूप में काम किया है, लेकिन मुख्यमंत्री ने 1,500 रुपए मानदेय की 2 फाइलों को रद्द कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने आशा वर्करों की फाइलों को पास करने के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा था, लेकिन फाइल फिर रद्द होने से वे निराश हैं। सुनीता ने कहा कि उनकी मांग है कि रद्द फाइलों को दोबारा से प्रक्रिया में लाया जाए और 1500 रुपए मानदेय जल्द से जल्द दिया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि आशा वर्करों के उपचार का जिम्मा भी सरकार उठाए। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वे अपना आंदोलन तेज कर देंगे। प्रदर्शनकारी आशा वर्करों ने कहा कि सरकार ने एनएचएम में कार्यरत सभी कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का तोहफा दिया है, लेकिन इसमें आशा वर्कर्स की अनदेखी की गई है।
‘आशा वर्कर स्वास्थ्य विभाग की रीढ़’
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आशा वर्कर्स स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी हैं और सरकार की तमाम योजनाओं को लोगों तक आशा वर्कर ही लेकर जाती हैं। कोरोनाकाल में आशा वर्करों ने अपनी जान की परवाह भी नहीं की और काम किया है। कोरोना संक्रमित मरीजों को चिह्नित करके उन्हें आइसोलेट करने, उन तक दवाई पहुंचाने में भी अपनी भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त कोरोना रोधी टीकाकरण अभियान के दौरान भी आशा वर्करों का योगदान सराहनीय रहा है। इसके बावजूद सरकार ने मनोदय बंद कर दिया है। इसी के विरोध में उन्होंने प्रदर्शन किया है।