चंडीगढ़, 16 जुलाई (ट्रिन्यू)
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य एवं राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि पिछड़े वर्ग को पंचायत और निकाय चुनाव में आरक्षण दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि सरकार आगामी चुनाव से ही आरक्षण को लागू करे। उनके अनुसार, बार-बार मांगने के बाद प्रदेश सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने का फैसला तो किया है, लेकिन इसमें जातिगत जनगणना के प्रावधान का कहीं कोई जिक्र नहीं है।
शनिवार को चंडीगढ़ से जारी एक बयान में दीपेंद्र ने कहा कि जातिगत जनगणना करानी जरूरी है ताकि पता चल सके कि किस वर्ग के लोगों की जनसंख्या कितनी है। सरकार इस मुद्दे पर पीछे हट रही है। सरकार लगातार पिछड़ों और वंचितों के हितों के खिलाफ काम कर रही है। क्रीमीलेयर की सीमा को 8 लाख से घटाकर 6 लाख करना पिछड़े वर्ग के हितों पर कुठाराघात है। सरकार के इस फैसले से बाद पिछड़े वर्ग के बच्चे आरक्षण के लाभ से वंचित होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पिछड़ा वर्ग में वेतन से अलग क्रीमीलेयर की लिमिट 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की जाएगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार ने पिछड़े वर्ग के लिए सरकारी नौकरी में एसीपी क्राइटेरिया को 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। शिक्षा विभाग में एससी-बीसी वर्ग के अध्यापकों को पे-ग्रेड (एसीपी) के लिए 45 प्रतिशत अंक की ही जरूरत होती है। इसे अब पिछड़े वर्ग के लिए बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर है। नये नियम से पिछड़े वर्ग के हजारों अध्यापक प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि पहले परीक्षा में सेमेस्टर प्रणाली नहीं होती थी। सरकार के इस फैसले से 45 प्रतिशत अंकों के साथ भर्ती होने वाले पिछड़े वर्ग के अध्यापकों को अब कभी पे-ग्रेड (एसीपी) नहीं मिलेगा। हुड्डा सरकार के समय शिक्षा विभाग में अध्यापकों को 10, 20 और 30 वर्ष में मिलने वाली पे-ग्रेड को 8, 16 और 24 वर्ष में देने का सरहानीय फैसला लिया गया था।