जींद, 1 नवंबर (हप्र)
प्रदूषण फैलाने वाले प्रतिबंधित पटाखों पर रोक के सरकारी आदेश दीपावाली से पहले जारी किये गये थे जो दीवाली की रात जहरीले धुएं के साथ जमकर उड़े। इनके कारण जींद का एक्यूआई स्तर बृहस्पतिवार और शुक्रवार को खराब से खतरनाक कैटेगरी में पहुंच गया।
दीपावाली से पहले ही जींद की आबोहवा में धान की पराली जलाने से उठने वाले जहरीले धुएं के साथ प्रतिबंधित बम और पटाखों के जहरीले धुएं ने लोगों, खासकर छोटे बच्चों और अस्थमा के मरीजों की दिक्कतें बढ़ा दी थी। जींद में दीवाली पर प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री पर प्रभावी रोक नहीं लग पाई। दिवाली से कई दिन पहले ही जींद में प्रतिबंधित बम और पटाखों के कनफोड़ू शोर तथा जहरीले धुएं ने लोगों की नाक में दम कर दिया था। दीवाली के दिन तो प्रतिबंधित बंब और पटाखों को जमकर फोड़े जाने से जींद की आबोहवा इतनी खराब हो गई कि इसमें सांस लेना भी मुश्किल हो गया। जींद में दिवाली की रात प्रतिबंधित पटाखे 12 बजे तक बजते रहे।
360 तक पहुंचा एक्यूआई
छोटी दिवाली और दीपावाली पर जींद में इतने बम और पटाखे फोड़े गए कि जींद की आबोहवा जहरीली हो गई। मंगलवार को जींद का एक्यूआई 212 था, जो खराब की कैटेगरी में आता है। सोमवार को जींद का एक्यूआई 220 पर था। बुधवार को छोटी दीपावली पर फोड़े गए पटाखों का एक्यूआई पर और भी बुरा असर पड़ा और यह इस सीजन के सर्वाधिक 360 पर पहुंच गया।
दिवाली की रात हवा चलने और शुक्रवार को धूप निकलने के बावजूद जींद में एक्यूआई का स्तर 345 पर रहा, जो बेहद खतरनाक की श्रेणी में आता है। जींद के सरकारी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आरएस पूनिया ने सलाह दी है कि छोटे बच्चों को अगले एक दो दिन और घर से बाहर नहीं ले जाएं। प्रदूषण से इंसानों के अलावा पशु भी प्रभावित होते हैं। पशु पालन विभाग के रिटायर्ड उप-निदेशक डॉ रविंद्र नरवाल का कहना है कि प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ने से दूधारू पशु कम दूध देने लगते हैं। पशुओं तक को सांस लेने में दिक्कत होती है।