फतेहाबाद, 17 नवंबर (हप्र)
अनाज मंडी में बासमती धान की आवक एकाएक बढ़ गई। पिछले साल 15 नवंबर तक मंडी में बासमती धान की आवक 3744 मीट्रिक टन थी, जबकि इस बार 5296 मीट्रिक टन तक पहुंच गई। इस प्रकार 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। हालांकि बासमती धान का बीते साल की अपेक्षा भाव 33 फीसदी भाव कम है तथा उत्पादन भी 20 फीसदी तक कम है। इन सबका कारण इस बार बिहार व यूपी से प्रवासी मजदूर कम आने के साथ-साथ जिले में धान के रकबे में 7597 हेक्टेयर की बढ़ोतरी भी है। व्यापार मंडल को आढ़तियों व किसानों से मंडी में धान न लाने की अपील करनी पड़ रही है। धान की लिफ्टिंग धीमी होने के कारण पक्का आढ़ती व राइस मिलों को दो दिन तक खरीद रोकनी पड़ रही है। बासमती धान की निजी मिलरों द्वारा लिफ्टिंग की रफ्तार धीमी करने से अनाज मंडिया धान से अटी पड़ी है। पूरा दिन यहां जाम लगा रहता है। किसानों की ट्रैक्टर-ट्रालियां मंडियों में आड़ी-तिरछी फंसी हुई है। व्यापार मंडल के अनुसार इस समय फतेहाबाद की पुरानी मंडी में 3 लाख बोरी धान पड़ी हुई है। लिफ्टिंग न होने से मंडी का सारा कारोबार ठप होकर रह गया है। खेतों में धान लिए बैठे किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। व्यापार मंडल ने दो दिन किसानों से धान न लाने के लिए कहा है, बीते सप्ताह भी दो दिन तक धान न लाने के लिए कहा गया था।
व्यापार मंडल के प्रधान जगदीश भादू ने बताया कि लेबर की कमी के चलते धान की भराई व लिफ्टिंग धीमी गति से चल रही है। मंडी में धान उतारने के लिए जगह ना होने के कारण किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली से भट्टू रोड जाम हो जाता है। इन हालात से बचने के लिए किसानों से बार-बार धान न लाने के लिए तथा निजी मिल मालिकों से खरीद ना करने का आग्रह करना पड़ता है।
नरमे की बजाय किसानों ने बासमती पर दिया ध्यान
परमल धान के बाद मंडियों में बासमती की किस्मों 1509, 1121,1401,1847,1885 व मुच्छल धान की आवक होती है। इस बार नरमे की बिजाई कम होने से किसानों ने बासमती की ओर ज्यादा ध्यान दिया। हालात यह है कि जिले में इस बार 1 लाख 60 हजार 365 हैक्टेयर में धान की बिजाई हुई है, जबकि पिछले साल धान का रकबा 1 लाख 52हजार 768 हेक्टेयर था। जिले के किसान नरमा, कपास की खेती छोड़कर धान की ओर जा रहे हैं। यहां तक कि राजस्थान सीमा से लगते भट्टू के रेतीले व खारे पानी के क्षेत्र में भी किसान धान की खेती करने लगा है, क्योंकि बासमती की मुच्छल किस्म को छोड़कर अन्य किस्में 1509 व 1121 खारे पानी में भी हो जाता है। इसके अलावा किसान मीठे पानी वाली जगह पर ट्यूबवेल लगाकर वहा से पाइपों के जरिए अपने खेत में पानी ले जा रहे हैं। किसानो का नरमा, कपास की खेती से मोहभंग होने का कारण इन फसलों पर बीमारियों का अधिक प्रकोप होना है, जिस कारण किसान को कीटनाशक पर अधिक खर्चा करना पड़ता है, लेकिन फिर भी उत्पादन अपेक्षा के अनुरूप नहीं होता।
इस बार 20 फीसदी धान कम
जिले में 15 नवंबर को पी आर धान की सरकारी खरीद बंद हो गई। इस बार सरकार को बीते साल के मुक़ाबले 20 फीसदी धान कम मिला। पिछले साल सरकारी एजेंसियों ने 9,26,432 मिट्रिक टन परमल धान खरीदा था, जबकि इस बार सरकार को 7,41,135 मिट्रिक टन धान मिला।
किसानों के खाते में गई पेमेंट
जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के जिला नियंत्रक अधिकारी विनित जैन ने बताया कि जिले में कुल खरीदे गए धान की 96 फीसदी लिफ्टिंग हो गई, तथा किसानों के खाते में पेमेंट डाल दी है।