चंडीगढ़, 1 अगस्त (ट्रिन्यू)
रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि बीसी-ए वर्ग के लिए भी एससी-एसटी की तर्ज पर उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने लोकसभा व विधानसभा में बीसी-ए के लिए आरक्षण की वकालत करते हुए कहा कि इसके लिए परिसीमन के पहले जातिगत जनगणना करानी बेहद जरूरी है। जातिगत जनगणना के आधार पर ही बीसीए वर्ग की जनसंख्या के अनुपाति में सीटें आरक्षित की जा सकेंगी।
उन्होंने संसद में नियम-377 के तहत मांग उठाई कि लोकसभा, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए होने वाले परिसीमन के बाद सामाजिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए आरक्षण दिया जाना जरूरी है। दीपेंद्र ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अति-पिछड़ा वर्ग (बीसीए) की राजनीतिक सहभागिता बढ़ानी आवश्यक है। परिसीमन के बाद लोकसभा, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में जातिगत जनगणना के आधार पर अति पिछड़े वर्ग (बीसीए) को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने के लिए जरूरी है कि एससी/एसटी की तर्ज पर उनके लिए भी कुछ विधानसभा, लोकसभा सीटें आरक्षित की जाएं।
दीपेंद्र ने कहा कि हरियाणा में देखा जाता है कि बीसीए वर्ग मेहनतकश और हुनरमंद है। समाज के विकास में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। बीसीए वर्ग की संख्या काफी है और ये हर गांव में रहते हैं।
लेकिन अधिकतर निर्वाचन क्षेत्रों में इनकी बहुतायत नहीं होती, इसलिए इन्हें आरक्षण दिया जाना बेहद जरूरी है। बीसीए के तहत कुम्हार प्रजापति समाज, विश्वकर्मा समाज, जांगड़ा समाज, पांचाल समाज, धीमान समाज, सुथार समाज; स्वर्णकार सोनी समाज, जोगी समाज, धोबी समाज, कश्यप समाज, पाल गड़रिया समाज, तेली समाज, कम्बोज समाज आदि अनेक समाज बीसीए के अंतर्गत आते हैं।