दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
कालका/पंचकूला, 16 सितंबर
राजधानी चंडीगढ़ से सटे पंचकूला और कालका विधानसभा क्षेत्र भी इस बार हॉट हो गए हैं। इन दोनों ही हलकों पर पूरे प्रदेश की नजरें रहेंगी। ट्राइसिटी यानी पंचकूला, चंडीगढ़ और मोहाली के तहत आने वाले पंचकूला जिला का हरियाणा की ‘मिनी राजधानी’ भी कहा जाता है। प्रदेश का यह अकेला ऐसा जिला है, जिसमें सबसे कम दो ही विधानसभा क्षेत्र हैं। पंचकूला स्थित माता मनसा देवी और कालका में कालिका देवी की शक्ति पीठ से दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को आशीर्वाद मिलने की उम्मीद है। दोनों ही मंदिरों के प्रति लोगों की गहरी आस्था और विश्वास है। तभी तो सभी राजनीतिक दलों के लोग चुनावी कैंपेन में उतरने से पहले मंदिर में पूजा-अर्चना करके ही आगे बढ़ते हैं। 2005 के विधानसभा चुनावों तक इस जिले में केवल कालका ही विधानसभा क्षेत्र था। 2008 के परिसीमन के बाद पंचकूला सीट अस्तित्व में आई। ये सीटें हॉट और महत्वपूर्ण इसलिए हो गई हैं क्योंकि दो राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा इन सीटों के चलते दांव पर लगी है। भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ़ भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई पंचकूला से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी और अम्बाला सिटी नगर निगम की मेयर शक्ति रानी शर्मा कालका में भाजपा टिकट पर कांग्रेस को चुनौती दे रही हैं। चंद्रमोहन के साथ पिता का नाम तो है लेकिन उनके छोटे भाई और पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई का साथ नहीं है। कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और वे कांग्रेस के खिलाफ पूरे प्रदेश में प्रचार करेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के नजदीकियों में शामिल चंद्रमोहन बिश्नोई को पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा का साथ मिलने के भी कम ही चांस हैं। भाजपा ने पंचकूला से दो बार के विधायक और विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता पर लगातार चौथी बार भरोसा जताया है। 2009 में ज्ञानचंद गुप्ता पंचकूला सीट पर हुए पहला ही चुनाव कांग्रेस के डीके बंसल के हाथों हार गए थे। अगले ही चुनाव में यानी 2014 में ज्ञानचंद ने डीके बंसल को शिकस्त देकर अपना बदला ले लिया। इसके बाद 2019 के चुनावों में ज्ञानचंद गुप्ता ने पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई को 5 हजार 633 मतों के अंतर से शिकस्त दी। उन्होंने चुनाव को हलके में लिया था, इस वजह से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार विपरीत परिस्थितयों में चंद्रमोहन बिश्नोई, कुमारी सैलजा के ‘आशीर्वाद’ से टिकट हासिल करने में कामयाब रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल अपने बेटे मनीष बंसल को पंचकूला से चुनाव लड़वाना चाहते थे। कांग्रेस की वरिष्ठ नेेता अंबिका सोनी ने भी मनीष बंसल की वकालत की, लेकिन बात नहीं बन पाई। पंचकूला की सीट पर इस बार भी आमने-सामने की ही टक्कर होती नज़र आ रही है। दस वर्षों की सरकार के खिलाफ थोड़ी-बहुत एंटी-इन्कमबेंसी होना भी स्वभाविक है। दो बार के मौजूदा विधायक ज्ञानचंद गुप्ता को भी आसानी से टिकट नहीं मिली है। उनकी टिकट पर भी तलवार लटकी थी, लेकिन उनकी संघ पृष्ठभूमि उनके काम आई।
पंचकूला विधानसभा क्षेत्र
जीत की हैट्रिक को उतरेंगे ज्ञानचंद गुप्ता
चंद्रमोहन लगा चुके कालका में चौका
गेटवे-ऑफ हिमाचल में संग्राम
कालका को गेटवे-ऑफ हिमाचल कहा जाता है। कालका के तुरंत बाद हिमाचल प्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है। कालका व पिंजौर के अलावा मोरनी हिल्स भी इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा को भाजपा से यहां से विधायक रह चुकी लतिका शर्मा की टिकट काटकर विश्वास जताया है। विनोद शर्मा के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच काफी गहरे राजनीतिक रिश्ते हैं। माना जा रहा है कि मनोहर लाल के प्रयासों से ही शक्ति रानी शर्मा को टिकट मिला है। मनोहर लाल के प्रयासों से ही विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा भाजपा के समर्थन से राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे। शक्ति रानी शर्मा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रदीप चौधरी के साथ होगा। प्रदीप चौधरी को भी कुमारी सैलजा के समर्थकों में गिना जाता है। प्रदीप चौधरी का कालका से यह लगातार पांचवां चुनाव है। वे अभी तक दो बार विधायक बने हैं। 2019 में पहली बार उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला था और वे भाजपा की मौजूदा विधायक लतिका शर्मा को हराने में कामयाब रहे थे। कालका सीट पर शक्ति रानी शर्मा और प्रदीप चौधरी के बीच आमने-सामने की टक्कर है।
‘रूठों’ को मनाना बड़ी चुनौती
दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा व कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने रूठों को मनाने की भी है। भाजपा व कांग्रेस के दूसरे नेता भी टिकट के प्रबल दावेदार थे। टिकट नहीं मिलने के बाद वे नाराज हैं। कई नेता अपने समर्थकों के साथ बैठकें भी कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने नाराज लोगों को मनाने की कवायद शुरू कर दी है। पंचकूला में कांग्रेस टिकट मांग रही पूर्व मेयर उपेंद्र कौर आहलूवालिया व महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुधा भारद्वाज के अलावा चार-पांच और भी मजबूत चेहरे हैं, जो टिकट मांग रहे थे। चंद्रमोहन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती उपेंद्र कौर आहलूवालिया, सुधा भारद्वाज व अन्य नेताओं को साथ लेकर चलने की होगी। वहीं भाजपा टिकट के दावेदारों में शामिल सीएम के एडवाइजर (पब्लिसिटी) तरुण भंडारी और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन रहीं रंजीता मेहता को साधना ज्ञानचंद गुप्ता के लिए जरूरी हो गया है। वहीं कालका सीट पर शक्ति रानी शर्मा को सबसे पहले यहां से विधायक रहीं लतिका शर्मा को अपने साथ जोड़ना होगा। लतिका शर्मा को इस बार कहीं से भी टिकट नहीं मिला। ऐसे में वे नाराज चल रही हैं। वहीं प्रदीप चौधरी को यहां से चुनाव लड़ चुकी और वरिष्ठ नेता मनबीर कौर गिल सहित उन सभी नेताओं को मनाना होगा, जो टिकट की दौड़ में शामिल थे।