दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 10 सितंबर
चौटालाओं का गढ़ कहे जाने वाले सिरसा जिले की राजनीति में इस बार बड़ा ‘सियासी खेल’ होता दिख रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए बंजर रही सिरसा की सियासी जमीन पर इस बार भी सत्ता का केंद्र चौटाला ही बने हुए हैं। सिरसा शहर और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कालांवाली हलके को छोड़कर तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में चौटाला एक-दूसरे के खिलाफ भी और साथ भी खड़े नजर आएंगे।
भाजपा ने इस जिले की सीटों पर दिग्गज नेताओं को दरकिनार करके नये चेहरों पर दांव खेला है। सिरसा ही नहीं, पूरे हरियाणा की राजनीति में भाजपा का सिरसा जिले को लेकर लिया गया स्टैंड चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। इसके पीछे भाजपा की कोई बड़ी रणनीति भी हो सकती है। इसी तरह की सियासत जींद जिले में दिखी है। जींद की पांच सीटों में से नरवाना अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। बाकी चारों सीटों पर गैर-जाट चेहरों को भाजपा ने मैदान में उतारा है।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जब बहुमत से दूर थी, तब रानियां से निर्दलीय विधायक चौ. रणजीत सिंह ने उसे सबसे पहले बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया था और बाकी छह निर्दलीय विधायकों के साथ भी भाजपा का तालेमल करवाया था। हालांकि, भाजपा ने 10 विधायकों वाली जजपा के साथ गठबंधन करके सरकार का गठन किया। निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी भाजपा के साथ बना रहा।
हालिया लोकसभा चुनावों में भाजपा ने रणजीत सिंह को हिसार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाया, लेकिन वह पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश ‘जेपी’ के मुकाबले हार गए। भाजपा के टिकट पर उन्हें रानियां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़वाए जाने की अटकलें थीं, लेकिन उन्हें टिकट देने के बजाय भाजपा ने शीशपाल काम्बोज को प्रत्याशी बनाया है। टिकट कटने के बाद रणजीत सिंह रानियां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं, ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला भी रानियां से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में रानियां की सीट पर एक बार फिर दिलचस्प चुनावी जंग देखने को मिलेगी। रणजीत सिंह भूतपूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल के बेटे हैं। यानी रानियां में दादा और पोते के बीच मुकाबला देखने
को मिलेगा।
देवीलाल के पोते आदित्य देवीलाल चौटाला डबवाली से भाजपा का टिकट मांग रहे थे। पिछला चुनाव उन्होंने भाजपा की तरफ से ही लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के अमित सिहाग के मुकाबले करीब पंद्रह हजार मतों के अंतर से हार गये थे। इस बार टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने भाजपा को अलविदा बोल दिया और अब इनेलो के टिकट पर डबवाली से चुनाव लड़ेंगे।
डबवाली में देवीलाल परिवार के तीन सदस्य आपस में टकराएंगे। कांग्रेस अमित सिहाग को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। अमित सिहाग, देवीलाल परिवार से ही जुड़े हैं। उनके पिता डॉ. केवी सिंह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी भी रहे हैं। जननायक जनता पार्टी के टिकट पर देवीलाल के पड़पोते और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पोते दिग्विजय सिंह चौटाला चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने डबवाली से बलदेव सिंह मांगीयाना को उम्मीदवार बनाया है। मौजूदा हालात में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनने के हालात बने हुए हैं।
अभय के खिलाफ अमीर चंद मेहता
ऐलनाबाद से इनेलो उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला के मुकाबले भाजपा के टिकट पर मीनू बेनीवाल के मैदान में आने की संभावना थी। भाजपा ने मीनू की जगह पंजाबी कार्ड खेलते हुए अमीर चंद मेहता को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह कालांवाली से भाजपा ने राजेंद्र देशुजोधा को टिकट दिया है। सिरसा से अभी भाजपा ने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
रानियां-डबवाली को लेकर पैचअप
बड़ी बात यह है कि सिरसा के दो हलकों– रानियां व डबवाली को लेकर परिवार में पैचअप भी हो गया है। पूर्व सांसद व जजपा सुप्रीमो डॉ. अजय सिंह चौटाला ने रानियां सीट पर अपने चाचा चौ. रणजीत सिंह का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। वहीं रणजीत सिंह ने अपने पोते दिग्विजय सिंह चौटाला की मदद करने का आश्वासन दिया है।