दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 सितंबर
भाजपा के 67 प्रत्याशियों की पहली सूची के बाद पार्टी में शुरू हुई बगावत से केंद्रीय नेतृत्व भी सकते में हैं। भाजपा को अनुशासन वाली पार्टी माना जाता है। आमतौर पर पार्टी में इस तरह का विद्रोह पहले कभी नहीं देखने को मिला। 2014 में पहली बार 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत में सत्ता में आई भाजपा ने 2019 के चुनावों में कई हेवीवेट मंत्रियों के अलावा वरिष्ठ नेताओं के भी टिकट काट दिए थे। उस समय जरा भी बगावत नहीं हुई थी।
इस बार पार्टी में उठ रहे बागी सुरों और नेताओं द्वारा पार्टी छोड़ने की घटना ने केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जहां रूठों को मनाने की कोशिश में हैं। वहीं दिल्ली के स्तर पर आधा दर्जन के लगभग हलकों में प्रत्याशी बदलने की भी चर्चा शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि इंद्री, रादौर, सोनीपत, हिसार, रानियां, बवानीखेड़ा, सोहना, बाढ़डा, गुरुग्राम व डबवाली के प्रत्याशियों पर नये सिरे से मंथन शुरू हुआ है।
इन सभी सीटों पर प्रत्याशियों को बदला जाएगा, इसकी संभावना कम ही नज़र आती है। लेकिन इतना जरूर है कि कुछ सीटों पर प्रत्याशियों में बदलाव होना अब तय हो गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री व चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान व सह-प्रभारी बिप्लब कुमार देब ने बगावत के बाद मोर्चा संभाला है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली द्वारा भी कई नेताओं से फोन पर बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश की गई।
हरियाणा प्रदेश प्रभारी डॉ़ सतीश पूनिया के अलावा संघ के कुछ पदाधिकारी भी उन नेताओं को मनाने की कोशिश में जुटे हैं, जिनके टिकट कटे हैं। जिन नेताओं के टिकट कटे हैं, उनमें से कइयों ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री कर्णदेव काम्बोज ने नई दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। नेताओं से मुलाकात के बाद जब वे बाहर निकले तो उनके चेहरे पर हंसी देखने को मिली। इससे संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी उन्हें इंद्री या रादौर में से किसी जगह से चुनाव लड़वा सकती है।
भाजपा ने इंद्री से मौजूदा विधायक रामकुमार कश्यप और रादौर से पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा को प्रत्याशी बनाया है। 2019 में टिकट कटने के बाद श्याम सिंह राणा ने भाजपा प्रत्याशी कर्णदेव काम्बोज का खुलकर विरोध किया था। इसके बाद वे इनेलो में शामिल हो गए। इनेलो ने इस बार उन्हें रादौर से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था लेकिन अगले ही दिन वे इनेलो छोड़कर फिर से भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में आने के बाद अब पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया।
इसलिए कटा काम्बोज का टिकट
जानकारों का कहना है कि कर्णदेव काम्बोज का टिकट कटने के पीछे सबसे बड़ी वजह लाडवा हलके में कश्यप वोट बैंक को माना जा रहा है। लाडवा और इंद्री हलके आपस में जुड़े हैं। इंद्री के विधायक रामकुमार कश्यप की टिकट कटती तो लाडवा के कश्यप भी इससे नाराज हो सकते थे। ऐसे में उन्हें फिर से मौका दिया गया। किसी काम्बोज को भी टिकट दिया जाना था। ऐसे में पार्टी ने रानियां हलके में शीशपाल काम्बोज को अपना प्रत्याशी बनाया। इस एडजस्टमेंट में कर्णदेव काम्बोज के साथ-साथ चौ़ रणजीत सिंह का भी रानियां से टिकट कट गया।
नरेश कौशिक का छलका दर्द
बहादुरगढ़ के पूर्व विधायक नरेश कौशिक की टिकट काटकर इस बार भाजपा ने उनके ही भाई दिनेश कौशिक को टिकट दिया है। दोनों भाइयों के बीच छत्तीस का आंकड़ा बताया जाता है। नरेश कौशिक ने शुक्रवार को बहादुरगढ़ में अपने समर्थकों की बैठक की। इस बैठक में भावुक हुए कौशिक रोने भी लगे। वर्करों ने उनके आंसू पोंछे। इस दौरान कौशिक ने अपने ही भाई की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए दिए। उन्होंने प्रत्याशी पर गंभीर आरोप भी जड़े।
जम्मू-कश्मीर में हो चुका बदलाव
भाजपा ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की तो वहां भी हरियाणा की तरह ही बड़ी बगावत हो गई थी। बगावत के तुरंत बाद ही भाजपा ने अपनी लिस्ट रोक दी और फिर नये सिरे से जारी की। नई लिस्ट में पुरानी लिस्ट वाले कई चेहरे गायब थे और नये लोगों को पार्टी ने मौका दिया। अब चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर हरियाणा में भी इस बगावत को रोकने के लिए भाजपा कुछ सीटों में बदलाव कर सकती है।
इन्होंने दिखाए बागी तेवर
टिकट कटने के बाद पूर्व मंत्री कविता जैन, चौ. रणजीत सिंह, कर्णदेव काम्बोज, सावित्री जिंदल, बिशम्बर वाल्मीकि, संजय सिंह के अलावा पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, सुखविंद्र सिंह श्योराण कड़े तेवर अपना चुके हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता जयभगवान शर्मा ‘डीडी’, नवीन गोयल, आदित्य देवीलाल चौटाला, रेणु बाला गुप्ता सहित कई नेताओं ने भी बागी तेवर अपनाए हुए हैं। रणजीत सिंह, सावित्री जिंदल, नवीन गोयल, रेणु बाला, जयभगवान शर्मा सहित दर्जनों नेताओं ने तो निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया है। पार्टी की बगावत और कुछ सीटों पर बदलाव की चर्चाओं के बीच वे प्रत्याशी नामांकन-पत्र जमा करवाने की जल्दबाजी कर रहे हैं, जिन्हें अपनी टिकट कटने का डर सता रहा है।