कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 28 मई
ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के बाद अब अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में कैंडिडा व एस्परजिलस फंगस के भी मरीजों की पुष्टि हुई है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह फंगस कितने मरीजों में है, लेकिन प्रयोगशाला में इस फंगस के रोगी भी मिले हैं। कैंडिडा को सफेद फंगस के नाम से जाना जाता है और हिसार में यह पहला मामला है। हालांकि चिकित्सकों का यह भी कहना है कि फंगस सफेद ही होता है, इसलिए इसको एस्परजिलस ही कहना ठीक है।
अग्रोहा मेडिकल कॉलेज की निदेशक डॉ. गीतिका दुग्गल ने कैंडिडा व एस्परजिलस के रोगी मिलने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि अभी लैब में कल्चर रिपोर्ट तैयार हो रही है, इसके बाद ही और रोगियों की संख्या के बारे में कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके कॉलेज में यह पहला मामला है। ब्लैक फंगस के विशेष वार्ड के इंचार्ज डॉ. प्रवीण कुमार रेवड़ी ने भी इसकी पुष्टि की।
10 नए मरीज आए, कुल संख्या 130
अग्रोहा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने बताया कि शुक्रवार को उनके पास ब्लैक फंगस के दस नए रोगी आए हैं जिसके बाद यहां इनकी कुल संख्या 84 हो गई है। अब तक सात मरीजों का उपचार करके उनको डिस्चार्ज किया जा चुका है व 22 मरीजों की मौत हो चुकी है व 17 के करीब मरीजों को उनके परिजन दूसरे अस्पतालों में ले गए। इस प्रकार यहां अब तक कुल 130 मरीज आ चुके हैं। इन मरीजों में से अधिकतर हिसार, फतेहाबाद, सिरसा व भिवानी के हैं जबकि एक-एक मरीज पानीपत, रेवाड़ी, पंजाब के संगरूर व हनुमानगढ़ के भी हैं।
रोजाना एक मरीज को चाहिए 6 इंजेक्शन
अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के वार्ड के इंचार्ज डॉ. प्रवीण कुमार रेवड़ी ने कहा कि मरीजों को उनके वजन के हिसाब से प्रतिदिन एम्फोटेरिसिन बी के 6 इंजेक्शन की जरूरत होती है, लेकिन उनको अभी तक प्रति मरीज सिर्फ एक-एक इंजेक्शन मिले हैं। इसके कारण फंगस का फैलाव ज्यादा होता है। उन्होंने बताया कि अब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जवाब आया है कि उनके पास भी यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है, जब उपलब्ध होंगे तब भेजे जाएंगे।
कॉलेज की निदेशक डॉ. गीतिका दुग्गल ने कहा कि जब इस बीमारी के मरीज आए तो उन्होंने मार्केट से यह इंजेक्शन खरीद लिए थे, लेकिन अब मार्केट में भी उपलब्ध नहीं है।