ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 8 फरवरी
हरियाणा के अधिकारियों व कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार ने उनके लिए कैशलेस मेडिकल सुविधा शुरू कर दी है। इसके लिए पत्र जारी हो गया है। सरकार के इस फैसले से राज्य के 5 लाख कर्मचारियों सहित उनके 20 लाख पारिवारिक सदस्यों को लाभ मिलेगा। कैशलेस मेडिकल सुविधा की मांग कर्मचारी संगठनों व यूनियनों द्वारा लम्बे समय से उठाई जा रही थी। सोमवार को आयुष्मान भारत – हरियाणा हेल्थ प्रोटेक्शन अथॉरिटी के डिप्टी सीईओ (ऑपरेशनल) की ओर से स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा के महानिदेशक को पत्र जारी किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा कर्मचारियों के लिए कैशलेस मेडिकल सुविधा की घोषणा की गई थी। भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में अपने ‘संकल्प-पत्र’ में भी इसका वादा किया था। 18 दिसंबर, 2020 को इस संबंध में स्टेट फाइनेंस कमेटी ‘सी’ की बैठक में भी निर्णय लिया गया था। मेडिकल कैशलेस सुविधा को लेकर सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, सीएम के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा के महानिदेशक तथा आयुष्मान भारत – हरियाणा हेल्थ प्रोटेक्शन अथॉरिटी के सीईओ की कमेटी का भी गठन किया हुआ है। सरकार ने अब इस बाबत एनआईसी को सभी कर्मचारियों का ऑनलाइन डाटा तैयार करने को कहा है।
आयुष्मान भारत के सीईओ की ओर से वित्त विभाग को भी एक पत्र जारी करके आग्रह किया गया है कि 2021-22 के बजट में कैशलेस मेडिकल सुविधा के लिए अलग से हेड तैयार किया जाए ताकि अस्पतालों के बिल भुगतान में किसी तरह की दिक्कत न आए। अभी तक सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को पीजीआई पैटर्न पर बिलों का भुगतान होता था। सात तरह की बीमारियों व इससे जुड़े टेस्ट के अलावा अस्पताल में कमरे के लिए रेट तय थे। ऐसे में कर्मचारियों द्वारा प्राइवेट अस्पताल में उपचार कराने की स्थिति में पीजीआई की दरों के हिसाब से ही भुगतान होता था। बाकी का गेप कर्मचारियों को खुद वहन करना होता था। अब कर्मचारियों को केवल सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्थ कार्ड को ही अस्पताल में दिखाना होगा। इसके बाद उनका उपचार मुफ्त में होगा और किसी तरह के बिल उनसे नहीं लिए जाएंगे। यह पूरा खर्चा सरकार द्वारा उठाया जाएगा। हेल्थ कार्ड के जरिये कर्मचारियों के अलावा उनके आश्रितों का भी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में इलाज हो सकेगा।
प्राइवेट अस्पताल पैनल में शामिल
सरकार ने हरियाणा के अलावा चंडीगढ़, मोहाली, नई दिल्ली, नोएडा, पंजाब सहित कई अन्य राज्यों के प्राइवेट अस्पतालों को पैनल पर लिया हुआ है। इन अस्पतालों में राज्य के अधिकारियों व कर्मचारियों का इलाज हो सकता है। सीएम मनोहर लाल ही नहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज इसको लेकर काफी संजीदा थे। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने का कहना है कि सरकार का यह फैसला सराहनीय है। लम्बे समय से कर्मचारियों की यह मांग थी। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह सभी सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड करे ताकि कर्मचारियों, पेंशनर व उनके आश्रितों को बेहतर उपचार मिल सके।
पेंशनरों, उनके आश्रितों को भी मिलेगा लाभ
हरियाणा सरकार के पेंशनरों व उनके आश्रितों को भी कैशलेस मेडिकल सुविधा का लाभ मिलेगा। अभी तक उपचार के लिए कैप भी थी और सात तरह की बीमारियों – कैंसर, हार्ट, रोड एक्सीडेंट, ब्रेन हेमरेज, कोमा की स्थिति और पेट की बीमारी ही इसमें कवर होती थी। अब बीमारियों के इलाज की संख्या भी सीमित नहीं की गई है। यानी कर्मचारी और उनके परिवार के आश्रित किसी भी अस्पताल में, कितनी भी राशि से और किसी भी बीमारी का इलाज करा सकते हैं।