हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 9 अप्रैल
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्र सरकार की अोर से किसानों के संदर्भ में की गई घोषणाओं पर कहा है कि इन घोषणाओं से स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार किसान विरोधी अभियान चलाकर किसान से बदला लेने पर आमादा है। एसकेएम ने कहा कि देश का किसान अब जाग चुका है और वह अपने खिलाफ षड्यंत्र को बर्दाश्त नहीं करेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा संसद में दिए उस जवाब पर हैरानी व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने किसान की आय बढ़ाने की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर यह कहकर डाल दी है कि कृषि राज्य सरकार का विषय है। मोर्चा ने यह याद दिलाया है कि अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार ने किस अधिकार से किसान विरोधी कानून बनाए थे? अगर किसानों की आय बढ़ाना राज्यों का काम है तो प्रधानमंत्री ने आय दोगुना करने की घोषणा क्यों की थी? एमएसपी की घोषणा प्रतिवर्ष केंद्र सरकार क्यों करती है? अगर किसानों का भला राज्य सरकार की जिम्मेदारी है तो केंद्र सरकार में -किसान कल्याण- मंत्रालय क्यों है?
खाद की कीमतों में बढ़ोतरी से पड़ेगा बोझ
एसकेएम नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि मोर्चा को डीएपी और एनपीकेएस खाद के दामों में बढ़ोतरी पर गहरी चिंता है और इस निर्णय को किसानों से बदला लेने के रूप में देखता है। पिछले साल 18 मई को इफको ने 50 किलोग्राम वाली डीएपी खाद की बोरी में 55.3 प्रतिशत दाम का इजाफा कर दिया था। हाल ही में केंद्र सरकार ने किसानों के साथ फिर से छलावा करते हुए खाद के दामों में बढ़ोतरी कर दी है। सब्सिडी के बाद भी 1200 प्रति बोरी मिलने वाली डीएपी के दाम में 150 बढ़ोतरी कर दी गयी है। वहीं एनपीकेएस की एक बोरी जो 1290 में मिल रही थी, उसमे 110 प्रति बोरी बढ़ोतरी कर दी है।