सफीदों, 19 मई (निस)
देशभर में सप्लाई करने को सफीदों के गोदामों में केंद्रीय पूल का करोड़ों रुपये का सरकारी गेहूं जमा है। अब इस पर कुक्कुट व्यवसायियों की निगाह लगी है। सरकारी एजेंसी हैफेड के 4 भंडारों में जमा करोड़ों रुपये का गेहूं मानव उपभोग के नाकाबिल घोषित कर दिया गया है। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई है। अधिकारी बताते हैं कि इसे नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह मुर्गियों या पशुओं के चारे में प्रयोग हो सकता है या ईंट भट्ठों में ईंधन का काम कर सकता है।
भारतीय खाद्य निगम के स्थानीय डिपो प्रबंधक भागीरथ मीणा ने बृहस्पतिवार को बताया कि सफीदों में हैफेड के 4 भंडारों- गर्ग राइस मिल, जितेंद्र प्लिंथ, विनोद प्लिंथ व अंशुल प्लिंथ में भंडारित करीब गेहूं के करीब एक लाख कट्टे अत्यंत खराब स्थिति में है। इसे बीते मार्च में उनके निगम द्वारा ‘मानव उपभोग के काबिल नहीं’ करार दिया गया है, इसलिए इसे जन वितरण प्रणाली में सप्लाई नहीं किया जा सकता। मीणा ने बताया कि इस गेहूं को केंद्रीय पूल के भंडार से बाहर कर दिया गया है।
इस पर हैफेड के सहायक महाप्रबंधक अशोक तायल ने माना कि गेहूं अत्यंत खराब है, लेकिन उन्होंने कहा कि दो भंडारों- गर्ग राइस मिल व जितेंद्र प्लिंथ के भंडार को ही मानव उपभोग के नाकाबिल करार देने की भारतीय खाद्य निगम से सूचना प्राप्त हुई है, जबकि विनोद प्लिंथ व अंशुल प्लिंथ में भंडारित गेहूं के बारे में कोई चिट्ठी हैफेड को अभी तक नहीं मिली है। उन्होंने माना कि इसके रखरखाव में लापरवाही भी रही, लेकिन इसके खराब होने का एक मुख्य कारण यह भी रहा कि ‘लस्टरलॉस’ का माल खरीदा गया और 2019, 2020 की खरीद के इस गेहूं की डिलीवरी नहीं हो पाई।
बता दें कि बुधवार को गांव रामनगर व खातला के राशन कार्डधारकों के लिए 330 क्विंटल गेहूं जारी करने का आरओ यहां भारतीय खाद्य निगम कार्यालय से हैफेड को जारी हुआ था। जनवितरण प्रणाली का काम देख रहे खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के उपनिरीक्षक धर्मपाल ने खराब बताकर इसे लेने से मना कर दिया। जब भारतीय खाद्य निगम के डिपो प्रबंधक मीणा से पूछा गया कि मार्च में यह गेहूं केंद्रीय पूल से बाहर हो गया था तो जनवितरण के लिए बुधवार को इसका आरओ क्यों जारी किया गया? तो उन्होंने कहा कि हैफेड के स्टाफ ने उन्हें कहा थी की इसमें करीब दो हजार कट्टे ठीक हैं।