दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 23 नवंबर
हरियाणा के तीन नगर निगमों में होने वाले चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ गई है। तीनों ही निगमों – पंचकूला, अम्बाला सिटी व सोनीपत में चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं ने ‘पोस्टर वार’ भी शुरू कर दिया है। कहीं दिवाली के नाम पर शुभकामनाएं दी गई तो कइयों ने अब नववर्ष की एडवांस में बधाइयां देनी शुरू कर दी हैं। सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन का सिम्बल पर चुनाव लड़ना तय है, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस व इनेलो अभी दुविधा में हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने गत दिवस ही तीनों निगमों के लिए चुनाव प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं। इन प्रभारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे निगमों में जाकर पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के अलावा आम वर्करों के साथ बैठक करके फीडबैक जुटाएं। इसी तरह से जजपा ने भी निगम व पंचायत चुनाव के लिए दो कमेटियों का गठन किया है। इन चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा अलग से चुनावी घोषणा-पत्र भी जारी किए जा सकते हैं।
भाजपा शुरू से ही निकायों के चुनाव पार्टी सिम्बल पर लड़ती आई है। दिसंबर-2018 में हुए पांच निगमों – रोहतक, पानीपत, हिसार, यमुनानगर व करनाल के चुनाव में इनेलो ने भी सिम्बल पर उम्मीदवार उतारे थे। उस समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ़ अशोक तंवर सिम्बल पर चुनाव लड़वाने के पक्ष में थे। वे इसके लिए राहुल गांधी को राजी करने में भी कामयाब रहे थे लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की दलील के बाद पार्टी ने सिम्बल पर चुनाव लड़ने का इरादा टाल दिया। अब प्रदेश में कांग्रेस की कमान पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के हाथों में है। सैलजा भी तंवर की तरह ही सिम्बल पर चुनाव लड़ने के पक्ष में नजर आ रही हैं। उन्होंने अम्बाला सिटी व पंचकूला नगर निगम के लिए पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामकिशन गुर्जर की अध्यक्षता में दो कमेटियां गठित की हैं। ये कमेटियां पार्टी नेताओं व वर्करों से विचार-विमर्श करके रिपोर्ट देंगी। इस रिपोर्ट के बाद तय होगा कि निगमों के चुनाव कांग्रेस सिम्बल पर लड़ेगी या नहीं। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला भी इस मुद्दे पर जल्द पार्टी नेताओं की बैठक बुलाने वाले हैं।
कोरोना महामारी लगातार फैल रही है। ऐसे में निकाय व पंचायत के चुनाव करवाना चुनाव आयोग के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। बरोदा उपचुनाव के ऐलान से पहले यहां प्रचार करने वाले भाजपा, कांग्रेस व इनेलो सहित कई अन्य दलों के नेता भी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। बेशक, निकायों के चुनावों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने की बात आयोग द्वारा की जा रही है लेकिन इन चुनावों में विधानसभा व लोकसभा चुनावों से भी अधिक राजनीति होती है।
सभी दलों के लिए अहम हैं चुनाव
बरोदा उपचुनाव में जीत के बाद कांग्रेसियों के हौसले बुलंद हैं। निकाय चुनाव को सभी दलों के लिए अहम माना जा रहा है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को सत्ता में आए लगभग एक साल ही हुआ है। तीनों निगमों के अलावा रेवाड़ी नगर परिषद व कुछ पालिकाओं के चुनाव में गठबंधन की परीक्षा भी होगी।