रेवाड़ी, 1 नवंबर (निस)
जिला के गांव मनेठी में प्रस्तावित एम्स को लेकर रविवार को संघर्ष समिति की एक बैठक उप तहसील मनेठी परिसर में सरपंच श्योताज की अध्यक्षता में हुई। जिसमें मौजूद सदस्यों में सरकार द्वारा जमीन का मुआवजा कम दिए जाने को लेकर आक्रोश दिखाई दिया। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से सरकार को चेताया कि जमीन का मुआवजा किसी भी सूरत में 50 लाख रुपये प्रति एकड़ से कम नहीं लेंगे। लेकिन सरकार की मंशा को देखते हुए समिति ने 7 नवंबर को नगर के नेहरू पार्क में एक दिवसीय सांकेतिक धरना देने का निर्णय लिया। बैठक में उपस्थित श्योताज सिंह, कामरेड राजेंद्र सिंह, जिला पार्षद आजाद सिंह नांधा, पूर्व पार्षद पृथ्वीपाल माजरा, राजेश्वरी देवी मंदौला, पूर्व सरपंच सुरेश कुमार मानपुरा, ओपी सैन ने कहा कि मनेठी में प्रस्तावित एम्स को लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों व किसानों ने लगभग 300 एकड़ जमीन सरकार के ई-भूमि पोर्टल पर अपलोड की है। यह एम्स इस क्षेत्र के लिए किसी लाइफलाइन से कम नहीं हैं। हम नहीं चाहते कि इस एम्स का निर्माण कार्य रुके। लेकिन सरकार ने प्रति एकड़ का मुआवजा लगभग 30 लाख रुपये तय किया है, जो बहुत कम है। इन जमीनों में काफी जमीन हाईवे के साथ लगती है, जिसका मूल्य प्रति एकड़ करोड़ों में है। उन्होंन कहा कि एनएच-11 के लिए एनएचएआई द्वारा प्रति एकड़ करोड़ों का मुआवजा दिया गया है। फिर हमारे साथ सरकार भेदभाव क्यों। उन्होंने कहा कि 7 नवंबर को धरने के उपरांत उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। हमारी मांग है कि माजरा-भालखी के भू-स्वामियों को कम से कम 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह मांग भी की कि एम्स के शिलान्यास की प्रक्रिया तेज की जाए। इस मौके पर कैलाश यादव, दिलबाग सिंह पाड़ला, धर्मवीर सिंह बल्डोदिया, नंबरदार धर्मवीर, मा. लक्ष्मण सिंह, डा. एचडी यादव, कै. मनफूलसिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
कृषि कानूनों के खिलाफ भाकियू का धरना शुरू
लोहारू (निस) : तीन कृषि कानूनों समेत विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने रविवार से लघु सचिवालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। भाकियू पदाधिकारियों ने बताया कि जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, धरना चलता रहेगा। रविवाल को पहले दिन के धरने की अध्यक्षता किसान रामेश्वर उर्फ मिश्रा ने की। खंड प्रधान धर्मपाल बारवास, जिला प्रधान मेवासिंह आर्य, उप प्रधान आजाद सिंह भूंगला, किसान मजदूर शोषण मुक्ति मोर्चा के उप प्रधान पृथ्वीसिंह, भीमसिंह द्वारका, प्रहलाद राठी, जाट संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव गंगाराम, बलबीर बजाड़, मंगलसिंह सुई आदि ने 7 सूत्रीय मांगें बताईं। उन्होंने कहा कि सरकार अपने तीन कृषि कानूनों में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की शर्त जोड़ने में कतरा क्यों रही है। क्या सरकार किसानों को यह एनएसपी नहीं देना चाहती। सरकार की इसी बदनियत को देखकर ही देश के किसान सड़कों पर आए हैं।
33,666 एकड़ में तबाह हुई कपास की रिपोर्ट भेजी डीसी कार्यालय को
बाढड़ा (निस) : प्रदेश सरकार के आदेश पर राजस्व विभाग द्वारा उपमंडल क्षेत्र की खरीफ सीजन में कपास पर आई सफेद मक्खी व झुलसा रोग से प्रभावित रकबे की स्पेशल गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार की है जिसमें 13466 हेक्टेयर भूमि यानी 33,666 एकड़ खराब रकबा चयनित किया गया है। मौजूदा सीजन की नगदी फसल के रूप में प्रसिद्ध नरमा की स्पेशल गिरदावरी करवाने के लिए किसानों ने लंबे समय तक आंदोलन किया जिसके बाद डीसी व एसडीएम ने प्रभावित फसलों का मौका मुआयना कर राजस्व विभाग ने 54 गांवों की कपास की 75 प्रतिशत खराबा रिपोर्ट को आपदा एवं प्रबंधन विभाग के राज्य मुख्यालय व जिला उपायुक्त कार्यालय को भेजी है जिस पर अगले सप्ताह कार्रवाई की उम्मीद है। कोरोना महामारी के दौर को देखते हुए पीडि.त किसानों ने पहले तो सारे प्रकरण पर चुप्पी साधी लेकिन बाद में आंदोलन करने का एेलान किया। किसान संगठनों के उग्र आंदोलन के बाद ततकालीन उपायुक्त शिवप्रसाद शर्मा, एसडीएम शंभु राठी व जजपा जिलाध्यक्ष नरेश द्वारका ने राजस्व विभाग व भाकियू अध्यक्ष धर्मपाल बाढड़ा, महासचिव हरपाल भांडवा आदि भाकियू पदाधिकारियों के अमले के साथ खराब फसलों का निरीक्षण कर राज्य सरकार को अवगत करवाया जिसके बाद राजस्व विभाग के राज्य मुख्यालय ने विशेष पत्र जारी कर उपमंडल की सफेद मक्खी प्रभावित रकबे की स्पेशल गिरदवारी करवाने का आदेेश जारी किया।
200 एकड़ पराली जलकर राख
जुलाना/जींद (हप्र) : नंदगढ़ गांव खेतों में एकत्रित की गई करीब 200 एकड़ फसल की पराली जलकर राख हो गई। इसकी सूचना फायर बिग्रेड को दी गई। फायर बिग्रेड के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्त के बाद आग पर काबू पाया। जब तक आग पर काबू पाया जाता तब तक पराली जलकर राख हो चुकी थी। नंदगढ़ निवासी सोमबीर ने बताया कि वह पराली को एकत्रित करके चारे के रूप में काटकर राजस्थान भेजने का काम करता है। हर साल की तरह इस साल भी उसने 200 एकड़ धान की पराली को एकत्रित करवाया था, लेकिन रात के समय अज्ञात कारणों से पराली में आग लग गई। इसकी सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई। फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्त के बाद आग पर काबू पाया।
किसान सभा ने दुष्यंत को सौंपा ज्ञापन
रोहतक (हप्र) : किसान सभा प्रतिनिमण्डल ने आज रोहतक के भाली गांव में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को किसानों की समस्याओं बारे ज्ञापन सौंपा व उनसे समस्याओं के समाधान की अपील की। किसान सभा ने उपमुख्यमंत्री के सामने गन्ने का रेट बढाने, ट्यूबवेल कनेक्शन जारी करने, फसलों का भुगतान करने समेत अन्य समस्याओं को रखा है, जिन्हें उन्होंने हल करने का आश्वासन दिया है। किसान सभा जिला सचिव सुमित सिंह ने बताया कि प्रदेश के अनेक जिलों में कपास की फसलों को सफेद मखी के प्रकोप से भारी नुकसान हुआ है। इस नुक्सान की गिरदावरी के लिए 4 जिलो में तो स्पेशल गिरदावरी के आदेश आ चुके परन्तु उसमे रोहतक व जींद जिले को छोड. दिया गया है। प्रतिनिधिमंडल में जिला प्रधान प्रीत सिंह, बलवान सिंह, अशोक राठी, ओमप्रकाश, अत्तर सिंह, नरेश मलिक शामिल रहे।
भुगतान न होने से किसान परेशान
नूंह/मेवात (निस) : जिला की नूंह, पुन्हाना, तावडू, पिनगवा व फिरोजपुर झिरका अनाज मंडियों में खरीफ की बिकवाली जोरों पर है। विभिन्न मंडियों में बाजरा की 1 नवंबर तक आवक 299068 क्विंटल हो गई है जबकि गत वर्ष 80686 क्विंटल थी, कपास की आवक आज तक 17833 क्विटल हो गई है जबकि गत वर्ष 25496 क्विंटल थी। इसी तरह धान की आवक आज तक 93268 क्विंटल हो गई है जबकि गत वर्ष 52431 क्विंटल थी। वहीं, सरकारी खरीद केन्द्रों पर एक महीना बीत जाने के बाद भी बाजरे की बिक्री कर चुके किसानों का भुगतान न होने से वह स्वंय को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इस बारे में मंडी के डीएमईओ के निजि सचिव राजेश शर्मा ने माना कि जिला की मंडियों में खरीफ की फसल की बिक्री जोरों पर हैं तथा भुगतान भी किया जा रहा हैं।
‘बीज की स्थिति स्पष्ट नहीं की तो देंगे धरना’
सफीदों (निस) : उपमण्डल मे पिल्लुखेड़ा जैविक किसान समूह के प्रतिनिधि राजेश जामनी ने रविवार को यहां स्पष्ट किया कि यदि गेहूं की नवीनतम किस्म डीबीडब्ल्यू 303 व गन्ना की किस्म 15023 का बीज किसानों को जारी करने बारे करनाल के राष्ट्रीय गेहूं व जौ अनुसंधान संस्थान व राष्ट्रीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के प्रबंधन ने तीन दिन के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट नही की तो सफीदों के किसाना करनाल के संस्थान में जाकर सांकेतिक धरना देंगे। राजेश ने बताया कि इन बीजों के लिए वे महीनाभर से कभी करनाल के संस्थान के चक्कर काट रहे हैं तो कभी कृषि कार्यालयों व हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के। राजेश ने बताया कि करनाल मे बताया गया कि इस गेहूं किस्म की अधिसूचना अभी जारी नही की गई है।