रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 17 सितंबर
सफीदों के विधानसभा चुनाव में कुल 17 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें प्रमुख रूप से भाजपा के रामकुमार गौतम, कांग्रेस के सुभाष गांगोली, जजपा के सुशील कुमार, आप की निशा देशवाल, बसपा की पिंकी कुंडू तथा दो निर्दलीय पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य व पूर्व विधायक जसवीर देशवाल शामिल हैं। अभी तक के समीकरणों व हालातों के अनुसार सफीदों में चौकोणीय मुकाबला 4 पूर्व विधायकों में है।
नारनौंद के पूर्व विधायक रामकुमार गौतम को भाजपा ने सफीदों के चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने यहां के निवर्तमान विधायक सुभाष गांगोली को अपना उम्मीदवार बनाया है। पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा टिकट के साथ लड़ा था जिसमें वह कांग्रेस के सुभाष गांगोली से हार गए थे। इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह आजाद उम्मीदवार के रूप में पीले पटके के साथ चुनाव मैदान में हैं। यहां के पूर्व विधायक जसवीर देशवाल भी भाजपा समर्थक रहे लेकिन जब प्रबल दावेदारी के बावजूद टिकट हासिल करने में कामयाब नहीं हुए तो वह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
दोनों निर्दलीयों बचन सिंह आर्य व जसवीर देशवाल के बीच ‘36 का आंकड़ा’ है और भले ही दोनों भाजपा टिकट के दावेदार थे, दोनों ने ही बहुत पहले हर हाल में यह चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। इन दोनों पर ही इस चुनाव में नामांकन वापस लेने के दबावों के बावजूद ये चुनावी दंगल में हैं। बचन सिंह आर्य पर भाजपा नेताओं का दबाव था क्योंकि उनके मैदान से हटने से गैरजाट वोट बैंक के सहारे भाजपा के रामकुमार गौतम की राह आसान हो जाती।
जसवीर देशवाल पर जाट समाज के उन लोगों का दबाव था जो पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य के साथ यहां के कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष गांगोली को समर्थन दिए जाने का आग्रह जसबीर देसवाल से कर रहे थे क्योंकि जसबीर का समर्थन मिलने से चुनावी जंग की गेंद कांग्रेस के पाले में आने की उम्मीद थी।
कुछ मतदाताओं को ‘ख्वाहिश’ पूरी होने की उम्मीद
उम्मीदवार व उसकी पार्टी (यदि है तो) के वादों की तरफ लोगों का ध्यान इस समय नहीं है। अच्छी संख्या में मतदाता चुनाव प्रचार के दौरान ही उम्मीदवारों से कुछ ख्वाहिशों की उम्मीद लगाए बैठे हैं। परिणाम के बाद कई उम्मीदवारों के चुनावी खेमे से मतदाताओं की कई ‘ख्वाहिश’ पूरी करने की तैयारी हो रही बताई गई है।
दो-दो उम्मीदवारों में है जमा-घटा का खेल
सफीदों में इस चौकोणीय मुकाबले में अजीब समीकरण हैं। दो-दो उम्मीदवारों के बीच जमा घटा का खेल है। इसमें आजाद बचन सिंह आर्य की मजबूती भाजपा को कमजोर करती है तो आजाद जसवीर देशवाल की मजबूती कांग्रेसी उम्मीदवार का वोटबैंक घटाती है। कौन खुद कितना मजबूत होकर किसे, कितना कमजोर कर पाता है और जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है यह तो समय ही बताएगा फिलहाल चारों जीत का दावा कर रहे हैं। जजपा ने यहां के बहादुरगढ़ गांव के पूर्व सरपंच सुशील कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा उम्मीदवार जिला जींद के निडानी गांव की पिंकी कुंडू हैं और आप ने अंबाला की निशा देशवाल को टिकट दिया है।
बड़ी उम्र के कारण है तीन पूर्व विधायकों का अंतिम चुनाव
सफ़ीदों का चुनाव दूसरे हलकों से अलग इसलिए भी है कि इन चार में से तीन पूर्व विधायक प्रत्याशी बड़ी उम्र के कारण सभाओं में घोषणा कर चुके हैं कि यह उनका अंतिम चुनाव है। भाजपा के रामकुमार गौतम व दो आजाद प्रत्याशी बचन सिंह आर्य व जसवीर देसवाल मंच से उक्त घोषणा कर चुके हैं और अपने राजनीतिक वारिस को साथ लेकर चल रहे हैं।