दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 नवंबर
हरियाणा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अभी भी हार के सदमे में है। विधानसभा चुनावों में मिली हार को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है। वहीं सत्तारूढ़ भाजपा 2029 की तैयारियों में अभी से जुट गई है। नब्बे सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा ने इस बार 48 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इसके साथ ही, भाजपा ने हारी हुई 42 सीटों पर भी मंथन कर लिया है। संघ व पार्टी की ओर से हारी हुई सीटों पर पूरा फीडबैक तैयार कर लिया है। अब इसी के हिसाब से आगे की प्लानिंग की जा रही है। पार्टी का फोकस अब युवा चेहरों पर है। सभी जिलाध्यक्षों, संघ प्रचारकों व परदे के पीछे रहकर सरकार व संगठन पर नजर रखने वाले जिलों के प्रमुख नेताओं के पास एक प्रफॉर्मा भेजा गया है। इसके जरिये जिलों से उन नेताओं के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी गई है, जो संघ व संगठन पृष्ठभूमि के हैं। 45 वर्ष तक की उम्र के नेताओं व कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी मांगी है। प्रदेश में अब विधानसभा के चुनाव क्योंकि पांच वर्षों के बाद होने हैं। ऐसे में पार्टी ने अभी से ‘भविष्य के नेताओं’ की तलाश शुरू कर दी है।
इस बार के विधानसभा चुनावों में संघ की माइक्रो मैनेजमेंट का भी जीत में बड़ा योगदान माना जा रहा है। ऐसे में सरकार में भी संघ का दखल स्पष्ट तौर पर झलक रहा है। बताते हैं कि राजनीतिक पदों पर होने वाली नियुक्तियों में भी संघ की पसंद-नापसंद काफी अहम होने वाली है। पूर्व में की गई गलतियों में सुधार करते हुए पार्टी व संघ ने प्रदेश व जिला स्तर के अधिकांश राजनीतिक पदों को 100 दिनों में भरने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में कह सकते हैं कि बोर्ड-निगमों की चेयरमैनी भी आने वाले कुछ दिनों में भर दी जाएंगी।
जिलों से मांगी गई रिपोर्ट में युवा नेताओं की वर्किंग स्टाइल, उन्हें दिए गए दायित्व, परफोरमेंस, लोगों के बीच व्यवहार सहित कई बिंदुओं पर डिटेल मांगी है। ऐसे चेहरों को आगे भी जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं या नहीं, इस बारे भी जिलों के नेताओं व संघ पदाधिकारियों से जानकारी मांगी है। दरअसल, भाजपा आने वाले चुनावों के लिए अभी से नेताओं को तैयार करने में जुटी है। पार्टी की भविष्य में यह कोशिश रहेगी कि दूसरे दलों से नेताओं को लेने की जरूरत ही ना पड़े। पार्टी के पास खुद की लीडरशिप होनी चाहिए।
मंझधार में छोड़ने वालों से तौबा
संघ ने अपनी ओर से एक और बड़ी पहल करते हुए संगठन को दो-टूक कह दिया है पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं से अब तौबा कर ली जाए। चुनाव के समय पार्टी को मंझधार में छोड़ने वाले नेताओं की अब भाजपा में फिर से एंट्री बहुत मुश्किल होगी। विधानसभा चुनाव के दौरान कई ऐसे नेताओं ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया था, जिनका बरसों से भाजपा व संघ के साथ जुड़ाव रहा। पार्टी में वापसी के लिए ऐसे नेता संघ को ही माध्यम बनाते हैं।
हारी सीटों पर होगी वर्किंग
भाजपा इस बार विधानसभा में जिन 42 सीटों पर चुनाव हारी है, उन पर भी अगले पांच वर्षों तक पूरा फोकस रहेगा। इन सीटों के लिए संभावित चेहरों का अभी से चयन कर लिया जाएगा ताकि पांच वर्षों तक फील्ड में एक्टिव रहकर वे अपनी पकड़ बना सकें। इन सीटों से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मजबूत चेहरों को भी आगे एक्टिव रहने के लिए कहा जा चुका है। जिन सीटों पर पार्टी के वरिष्ठ (बुजुर्ग) नेता चुनाव लड़ थे, उन्हें आगे टिकट मिलने की कम ही संभावना रहेगी। ऐसे में इन तरह की सीटों पर नये चेहरों को भी उभारा जा सकता है। हारी हुई सीटों पर विकास कार्य भी पार्टी प्रत्याशियों तथा संघ व संगठन द्वारा चिह्नित किए जाने वाले चेहरों की सिफारिश के आधार पर किए जाएंगे।
नियुक्ितयों को लेकर जल्दबाजी नहीं
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अलावा बोर्ड-निगमों में बड़े स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं। सीएमओ में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति भी लंबित है। सूत्रों का कहना है कि इन नियुक्तियों में सरकार किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करेगी। बेशक, सीएमओ से जुड़ी नियुक्तियां अगले कुछ दिनों में हो सकती हैं। लेकिन बोर्ड-निगमों में चेयरमैनी देने से पहले संघ व संगठन के साथ विचार-विमर्श होगा। सभी की सहमति के बाद नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा।
मीडिया पदाधिकारियों को लेकर हो रही प्लानिंग
मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइजर, एडवाइजर (पब्लिसिटी), मीडिया सचिव, चीफ मीडिया काेऑर्डिनेटर व मीडिया काेऑर्डिनेटर जैसे पदों पर भी नियुक्तियों को लेकर लॉबिंग हो रही है। माना जा रहा है कि इस बार तीन मीडिया एडवाइजर लगाए जा सकते हैं। चंडीगढ़ व नई दिल्ली के अलावा रोहतक में भी मीडिया एडवाइजर की नियुक्ति हो सकती है। रोहतक में भाजपा का प्रदेश मुख्यालय है। यहां से पूरे प्रदेश को कंट्रोल करने के लिए मीडिया एडवाइजर नियुक्त किया जा सकता है। पार्टी व संघ के स्तर पर इस बारे में मोटे तौर पर मंथन भी हो चुका है। चंडीगढ़ में मीडिया सचिव व चीफ मीडिया काेऑर्डिनेटर भी लग सकते हैं। इसी तरह मंडल स्तर पर मनोहर सरकार की तर्ज पर मीडिया काेऑर्डिनेटर लगाए जा सकते हैं।