चंडीगढ़, 4 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा में कोरोना काल के दौरान ‘दान’ में आई राशि का इस्तेमाल अब स्वास्थ्य सेवाओं पर होगा। कोविड-19 की पहली लहर में जब लॉकडाउन लगा तो सरकार ने राहत कोष की शुरूआत की। इसमें आम लोगों, संस्थाओं, सामाजिक संस्थाओं, प्राइवेट कंपनियों के अलावा सरकारी विभागों तथा अधिकारियों व कर्मचारियों ने पैसा दिया था। कर्मचारियों ने अपने वेतन में से भी इस राहत कोष में सहयोग किया था।
कोरोना राहत कोष में कुल 318 करोड़ 19 लाख रुपये की राशि जुटी। इसमें से 142 करोड़ 79 लाख रुपये सरकार विभिन्न कार्यों में खर्च कर चुकी है। बाकी पैसे का इस्तेमाल अब सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर करेगी। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला के सवाल पर सरकार ने यह खुलासा किया। राहत कोष में से करीब 6 करोड़ रुपये की राशि हरियाणा टूरिज्म कारपोरेशन को मिली। कारपोरेशन ने डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टॉफ को कोरोना में सुविधाएं प्रदान की थी। वहीं 6 हजार 938 लोगों को 3 करोड़ 47 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी। ये सभी बीपीएल परिवार थे। सरकार ने प्रति व्यक्ति पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद दी। प्राइवेट अस्पतालों में उपचार करवाने वाले बीपीएल परिवारों का भुगतान भी राहत कोष से ही किया गया। इलाज करवाने वाले कुल 2001 लोगों ने क्लेम किया और सरकार ने उन्हें 1 करोड़ 5 लाख रुपये की मदद की। वहीं, रामदेव की कोरोनिल पर सरकार ने 5 करोड़ 23 लाख रुपये खर्चे। सरकार ने स्टेट आयुष सोसायटी के माध्यम से यह दवा खरीदी।
मेडिकल उपकरणों पर खर्चे 41 करोड़
कोरोना राहत कोष से ही सरकार ने मेडिकल उपकरण भी खरीदे। एचएमएससीएल को उपकरणों की खरीद के लिए 41 करोड़ रुपये दिए गए। लॉकडाउन के दौरान असंगठित वर्करों की आर्थिक मदद के लिए सरकार ने 35 करोड़ 43 लाख रुपये जारी किए। इम्युनिटी बूस्टर व कोरोना की अन्य दवाइयों के लिए भी सरकार ने सवा एक करोड़ रुपया खर्च किया।