गुरुग्राम, 8 दिसंबर (हप्र)
नगर निगम गुरुग्राम द्वारा क्षेत्र में ठोस कचरा एकत्रित करने के फर्जीवाड़े की आरोपी कंपनियों की पेमेंट रोक ली गई है। इन्हें आगे सही तरीके से काम करने की चेतावनी देते हुए निगम ने अपने स्तर पर काॅल सेंटर स्थापित किया है। घोटाला नगर निगम की एक आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया। दरअसल, कूड़ा एकत्रित करने वाली कंपनियों के कार्यों से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए एक अधिकारी को लगाया गया था। करीब दो महीने पहले ज्वाइंट कमिश्नर- हैडक्वार्टर हरिओम अत्री ने इस रिपोर्ट के हवाले से नगर निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा को बताया कि कचरा उठाने के नाम पर ठेका लेने वाली कंपनियां जमकर फर्जीवाड़ा कर रही हैं। कई कंपनियां निगम से मुफ्त का पैसा ले रही हैं। जिन वाहनों से कूड़ा एकत्रित किया जाता है उनकी लोकेशन ट्रेस करने के लिए इनमें जीपीएस लगाए हुए हैं लेकिन ये जीपीएस ट्रैक्टर, कचरा ढोने वाले थ्री-व्हीलर की बजाय मोटर साइकिल व कार आदि में लगा रखे हैं। यानी कूड़ा उठाने का कार्य जमीनी तौर पर नहीं किया जा रहा लेकिन इसके बदले में नगर निगम से भारी भरकम बिल लिया जा रहा है। निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा के निर्देश पर इस पूरे मामले की जांच भी की गई। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर कूड़ा ढोने का फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों का दो महीने का भुगतान रोक लिया गया।
क्लीन चिट देने की तैयारी
नगर निगम गुरुग्राम में घोटाले पकड़े जाने के साथ आरोपियों को क्लीनचिट देने की जमीन भी समानांतर तैयार की जाती है। एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने वाहनों के नंबर गलत दे दिए थे, इसलिए यह चूक हुई। जिन नंबरों के वाहनों की जांच की गई वे गलत थे, अब वाहनों के नंबरों को रिकाॅर्ड में दुरुस्त कर लिया गया है।
”किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए निगम ने अपने स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया है। जिन ठेकेदारों की गड़बड़ियां पाई गई थी उनकी पेमेंट रोक ली गई है और इन्हें काम सही तरीके से करने की चेतावनी दी गई है। दोबारा गड़बड़ी पाए जाने पर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
-हरिओम अत्री, ज्वाइंट कमिश्नर