- एनसीआरपी पोर्टल से 62 हजार 242 साइबर ठेगों के नंबर भी करवाए बंद
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 2 जनवरी
हरियाणा में साइबर फ्रॉड के मामलों से निपटने के लिए पुलिस द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भी मदद ली जा रही है। एआई के जरिये ही पुलिस द्वारा नूंह (मेवात) जिला में 4 लाख 96 हजार 562 मोबाइल नंबरों की पहचान की गई। साइबर फ्रॉड में संलिप्त मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करवाना शुरू किया। इसके तहत 62 हजार 242 मोबाइल नंबर ब्लॉक करवाए गए।
डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने मंगलवार को यहां बताया कि पुलिस ने खुद को तकनीकी तौर पर विकसित कर लिया है। एआई आधारित धोखाधड़ी करने वालों की पहचान वाले सॉफ्टवेयर ‘अस्त्र‘ की सहायता से साइबर अपराध के संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। नंबर ब्लॉक करवाने के लिए एक प्रमुख दूरसंचार कंपनी के साथ सांझेदारी की है। एआई की तकनीक से पता लगाया कि कैसे एक ही व्यक्ति की अलग-अलग आईडी बनाकर नंबर हासिल किए हैं। इनका उपयोग साइबर ठगी में किया गया।
उन सभी संदिग्ध नंबरों को ब्लॉक किया गया। साइबर नोडल टीम ने विभिन्न शिकायतों में मिले साइबर ठगों के 62,242 नंबरों को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से ब्लॉक कर दिया है। जालसाज़ों के 1 करोड़ 36 लाख 347 रुपये बैंक खातों में फ्रीज करवाए गए। पुलिस ने वर्षभर साइबर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया। वर्षभर 3,971 जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित किए। इनके जरिये 21 लाख से अधिक लोगों तक पहुंचते हुए उन्हें साइबर अपराध से बचाव उपायों के बारे में जागरूक किया गया।
साइबर अपराध से निपटने में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाते हुए हरियाणा पुलिस के साथ 854 स्वयंसेवकों को पंजीकृत किया है। डीजीपी ने कहा कि पिछले साल साइबर फ्रॉड की 4 लाख 11 हजार 299 से अधिक शिकायतें आई। शिकायतों को 24 घंटे उपलब्ध साइबर हेल्प लाइन टीम द्वारा सुना गया। साइबर नोडल टीम व जिले के सामूहिक प्रयासों से साइबर अपराधियों द्वारा ठगे गए आम जनता के 76 करोड़ 85 लाख रुपये बचाने में सफलता प्राप्त की गई।
साइबर हेल्प लाइन टीम में वर्तमान में 70 साइबर प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की टीम कार्य कर रही है। इन्होंने पिछले वर्ष में 4 लाख 11 हजार 534 कॉल का जवाब दिया। विभिन्न शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 2 हजार 587 मामले तथा 1 लाख 13 हजार 801 शिकायतें दर्ज की गई। इन पर साइबर नोडल थाने व अन्य जिलों के थानों ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 1903 साइबर ठग गिरफ्तार किए।
प्रदेश पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए 84 मामले दर्ज किए और 424 उच्च-मूल्य वाले मामलों पर कार्रवाई की। इनमें ठगी की रकम 5 लाख रुपये से अधिक थी। प्रदेश पुलिस ने अपराध के बदलते तकनीकी पक्ष को समझते हुए, साइबर अपराध जांच और साइबर फोरेंसिक में 3,142 पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जिनमें 1,389 ऑनलाइन और 1,753 को ऑफलाइन ट्रेनिंग दी गई। राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र (एनसीटीसी) के माध्यम से चल रहे प्रशिक्षण में प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त 1,947 जांच अधिकारी साइट्रेन पोर्टल के माध्यम से अपने कौशल को बढ़ा रहे हैं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।