अम्बाला शहर, 15 फरवरी (हप्र)
जिला में कई बड़े डेयरी फार्म संचालक बिना प्रोसेस किए ही दूध थैलियों में भरकर उपभोक्ताओं को बेच रहे हैं, जो नागरिकों की सेहत से खुला खिलवाड़ है। ये काम धड़ल्ले से बिना किसी चैकिंग के चल रहा है और अधिकारी लंबी तान कर सो रहे हैं। जिला में एक अनुमान के अनुसार रोजाना करीब 2 लाख लीटर दूध की सीधी खपत होती है।
दरअसल जहां पंजाब एवं हरियाणा के नामी-गिरामी मिल्क प्लांट थैली बंद अथवा बोतल बंद दूध नागरिकों को उपलब्ध करवाते हैं वहीं अम्बाला में दर्जनों बड़े डेयरी फार्म भी हैं, जो आम नागरिकों की दूध की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए अब अम्बाला और आसपास भी कई बड़ी आधुनिक संयंत्रयुक्त डेरियां बन गयी हैं, जो दूध को पाश्चराइज्ड करने के साथ-साथ उन्हें थैलियों में पैक कर लोगों के दरवाजे तक पहुंचा रही हैं। आम उपभोक्ता तो यही समझ कर यह दूध ले रहा है कि वह डेयरी फार्म से आया ताजा दूध है और इन थैलियों को अपने हिसाब से फ्रिज में रखकर अथवा सीधे ही प्रयोग कर लेता है।
वह इस बात से अनभिज्ञ है कि बड़े डेयरी फार्म द्वारा बेचा जा रहा दूध स्वास्थ्यवर्धक है अथवा हानिकारक। लेकिन चाहकर भी वह उके अंदर की बात का पता नहीं लगा सकता।
वास्तविकता यह है कि मिल्क प्लांट हो या बड़े डेयरी फार्म। दूध को थैलियों या बोतलों में भरने के लिए एक नियमित प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। इसके तहत पहले दूध को एक खास तापमान तक गर्म किया जाता है और उसके बाद उसे ठंडा करने के पश्चात ही पैकिंग करना होता है। इससे दूध में मौजूद खतरनाक बैक्टिरिया समाप्त हो जाते हैं। यदि दूध को ऐसे ही सीधा पैक कर दिया जाए तो खतरनाक जीवाणु दूध के साथ ही व्यक्ति के शरीर में आसानी से पहुंच जाते हैं और सेहत को बड़ी हानि तक पहुंचा देते हैं।
यदि यह डेयरी फार्म वाले हरियाणा की अपनी बड़ी सहकारी समिति वीटा को दूध देते हैं तो उनको बहुत कम दाम मिलता है जबकि अपनी थैलियों में बेचकर वह अच्छा दाम और मुनाफा प्राप्त करते हैं।
”बड़े डेयरी फार्मों द्वारा बिना प्रोसेस दूध पैक करने के मामले संज्ञान में हैं लेकिन हमारे हाथ बंधे हुए हैं, हम चाहकर भी ऐसे बड़े डेयरी फार्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाते, जो बिना प्रोसेस के दूध को थैलियों में पैक करके बाजार उपलब्ध करवा रहे हैं। निस्संदेह बिना उचित प्रक्रिया के पैक दूध सेहत के लिए काफी हानिकारक है। इनके खिलाफ कार्रवाई का जिम्मा खाद्य सुरक्षा अधिकारी को है। हम अपने स्तर पर अपने मुख्यालय को भी अवगत करवायेंगे।”
-सर्वजीत सिंह, सीईओ, वीटा मिल्क प्लांट