झज्जर, 7 जून (हप्र)
निकाय चुनाव में लड़ने से पहले ही मैदान छोड़ चुकी कांग्रेस अब साझा उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा को पटखनी देने के मूड में है। जिसके लिए सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने झज्जर व बहादुरगढ़ दोनों ही स्थानों पर कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए भाजपा उम्मीदवार को हराने की रणनीति बनाई। इसमें हुड्डा परिवार को बहादुरगढ़ में तो थोड़ी बहुत सफलता हासिल हुई है, लेकिन झज्जर के निकाय चुनाव में नामांकन वापसी के आखिरी दिन इस जूम मीटिंग के सार्थक परिणाम सामने नहीं आ पाए। कुछ को तो हुड्डा परिवार चुनावी मैदान से हटने के लिए मनाने में कामयाब हो गया, लेकिन कुछ बागी आज भी चुनावी समर में डटे हुए है। चुनाव में मुकाबला करने का मन बना चुके है। बता दें कि झज्जर व बहादुरगढ़ दोनों ही स्थानों पर पिछले सालभर से भी ज्यादा समय से कांग्रेस समर्थित चेयरमैन के दावेदारों ने चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रखी थी। जैसे ही कांग्रेस ने मौजूदा निकाय चुनाव सिम्बल पर न लड़ने की घोषणा की तो इन दावेदारों के चेहरे लटक गए और उन्होंने बुझे मन से झज्जर व बहादुरगढ़ दोनों ही स्थानों पर चेयरमैन के लिए बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अपने नामांकन भर दिए। पिछले दो दिनों से जूम मीटिंग के जरिए दीपेंद्र हुड्डा ने झज्जर व बहादुरगढ़ दोनों ही स्थानों पर एक साझा उम्मीदवार उतारे जाने का प्रयास किया।
बागी मैदान में ही डटे
बहादुरगढ़ में स्थानीय नेताओं की जूम मीटिंग रवि खत्री की पत्नी राम भतेरी को साझा उम्मीदवार के तौर पर उतारे जाने पर सहमति बनी। यहां कांगेस समर्थित नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन रवि खत्री की पत्नी राम भतेरी के अलावा युवराज छिल्लर, अरुण खत्री, पूर्व चेयरपर्सन शीला राठी, गजानन गर्ग ने बहादुरगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। जिन्होंने अपने नामांकन वापस ले लिया है। उधर झज्जर में कांग्रेस की तरफ से साझा उम्मीदवार पर पूर्व पार्षद राव नाहर सिंह के नाम पर सहमति बनी है, लेकिन यहां बागी अभी भी चुनावी समर में डटे हुए है। यहां कांग्रेस से बागी होकर भारतभूषण वर्मा, भूदेव गुलिया सहित एक दो अन्य अभी भी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं।