पानीपत, 7 जुलाई (हप्र)
गांव बिंझौल के मेजर आशीष धौंचक की शहादत को अभी 9 माह ही पूरे हुए हैं, उसके माता-पिता अब इधर-उधर भटकने को मजबूर हो गए हैं। सरकार की ओर से कई घोषणाएं की गई और शहादत फंड भी मिला, लेकिन उसके बावजूद शहीद के माता-पिता परेशान हैं। इकलौते बेटे आशीष की शहादत के बाद मां-बाप की आस उनकी बहू व पोती है लेकिन वे भी अब उनसे दूर चले गये हैं। परिवार का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि व अन्य सारे लाभ लेकर अपने मायके जींद चली गई हैं और कई माह बाद भी वह वापस नहीं लौटी है। मेजर आशीष धौंचक पिछले वर्ष 13 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गये थे।
पूर्व सीएम मनोहर लाल ने शहीद मेजर आशीष धौंचक के नाम पर टीडीआई में पार्क और पैतृक गांव बिंझौल में स्वागतद्वार बनाने की बात कही थी। शहीद परिवार को सरकार की तरफ से 50 लाख रुपए नकद और पत्नी ज्योति को योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी। शहीद की माता कमला व पिता लालचंद ने मंत्री महिपाल ढांडा से मिलकर उनको सारी बातंे बतलाई है। मंत्री महिपाल ढांडा से सरकार द्वारा दी जाने वाली सरकारी नौकरी शहीद आशीष की पत्नी की बजाये उसकी बहन को देने की मांग की गई है। परिजनों ने मंत्री को बताया कि आशीष की पत्नी तो हमें छोड़कर अपने मायके जींद चली गई है और अब उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उनकी अपनी बेटी ही अब दोनों बुजुर्ग माता-पिता की सेवा कर रही है। इसलिये उनकी बेटी को ही वह सरकारी नौकरी मिलनी चाहिये। मंत्री महिपाल ढांडा ने शहीद के माता-पिता की मांग पर सरकारी नौकरी मामले को सीएम के समक्ष रखा है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया है।
सरकार के समक्ष पक्ष रखेगी शहीद की पत्नी
शहीद की पत्नी का कहना है पति की शहादत के बाद सास ने कहा था कि वह उसे साथ नहीं रखेगी। यह उनके द्वारा अब ननद को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए किया जा रहा है और वह भी सरकार के सामने अपना पक्ष रखेगी।