अम्बाला शहर, 29 अगस्त (हप्र)
बिना एसएलसी यानी स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट के प्रदेश के किसी भी राजकीय स्कूल में दाखिला लेने के लिए जारी किए गए अपने ही आदेशों को शिक्षा निदेशालय ने रोक लगा दी है। इससे प्राइवेट स्कूलों से एसएलवी के बिना राजकीय स्कूलों में आनलाइन नामांकन की स्वयं ही गतिविधियों पर रोक लग गई है। जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका के संदर्भ में यह आदेश जारी किए गए हैं जिसके कारण 10 मार्च को जारी पत्र पर रोक रहेगी । पहले जारी पत्र के अनुसार बिना एसएलवी भी विद्यार्थी प्रदेश के किसी भी राजकीय स्कूल में दाखिला ले सकते थे। विभाग ने एमआइएस पोर्टल में कुछ संशोधन किया था जिसमें एसएलसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। पुराने सीरियल नंबर के आधार पर ही विद्यार्थी का दाखिला हो सकता था जिससे हजारों विद्यार्थियों को राहत मिलनी थी, प्राइवेट स्कूलों की मनमर्जी पर भी अंकुश लग पाएगा।
शिक्षा निदेशालय की ओर से आदेशों में कहा गया कि उच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालना अनुसार इस पत्र पर रोक लगा दी गई है। सभी अधिकारियों को कहा गया कि इसके संदर्भ में समुचित कार्रवाई करें अन्यथा इसे उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना समझा जाएगा। मालूम हो कि प्राइवेट स्कूलों को छोड़ कर यदि कोई बच्चा किसी राजकीय स्कूल में दाखिला लेना चाहता है तो उसे एसएलसी की जरूरत पड़ती है। इसके लिए बार-बार अभिभावकों के स्कूल में चक्कर कटवाए जाते थे। ऐसे में अभिभावकों को कभी डीसी तो कभी डीईओ के पास शिकायत देनी पड़ती थी। परंतु 10 मार्च को शिक्षा विभाग ने एसएलसी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। नए नियमों में कहा गया था कि यदि स्कूल 15 दिन में एसएलसी जारी नहीं करता तो इसके अगले दिन ही एसएलसी को अपने आप ही जारी हुआ मान लिया जाएगा। अम्बाला के परियोजना समन्वयक सुधीर कालड़ा ने मुख्यालय से मिले आदेशों की पुष्टि करते हुए बताया कि आदेशों के परिपालना सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित को निर्देश दे दिए गए हैं।