रामकुमार तुसीर/निस
सफीदो, 10 नवंबर
उपमंडल सफीदों के पिल्लूखेड़ा खंड क्षेत्र में विकास का पहिया अब यूं लगता है कि दो एक्सप्रेस-वे निकलने के बाद थमा नहीं है। अब सरकार ने माना है कि इस क्षेत्र में औद्योगिक, वाणिज्यिक संस्थागत व आमोद-प्रमोद से संबंधित विकास की अच्छी संभावनाएं हैं। इसीलिए सरकार ने इस क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांवों की सर्वेक्षण के बाद सूचीबद्ध की गई जमीनों को हरियाणा अनुसूचित सड़क तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्वबंधन अधिनियम 1963 के तहत नियंत्रित क्षेत्र अधिसूचित कर दिया है। नगर योजनाकार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार गुप्ता द्वारा जारी इस अधिसूचना के तहत गांव रिटोली, अमरावली खेड़ा, खरक गादियां, जामनी आदि गांवों की सूचीबद्ध जमीनों को नियंत्रित क्षेत्र घोषित करके इनमें भवन निर्माण व खरीद फरोख्त से संबंधित अनेक क्रियाकलापों को प्रतिबंधित कर दिया है। आज विभाग के निदेशक अमित खत्री महाराष्ट्र चुनाव में बतौर पर्यवेक्षक गए हुए बताए गए। नगर योजनाकार विभाग के सूत्रों द्वारा बताया गया कि अब इस अधिसूचना के बाद संबंधित नियंत्रित क्षेत्र को लेकर विस्तृत योजना तैयार करके सरकार को भेजी जाएगी। फिर इसकी अंतिम ड्राइंग बनेगी।
अधिसूचना किसान विरोधी : सुभाष गांगोली
बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने पर इस क्षेत्र में बड़ी औद्योगिक परियोजना स्थापित कराने का वादा करने वाले सफ़ीदों के निवर्तमान विधायक कांग्रेसी नेता सुभाष गांगोली ने इस अधिसूचना को किसान विरोधी करार दिया है। गांगोली का कहना है कि अब इस इलाके के किसानों को अपने खेत मे जरूरी निर्माण करने को भी मंजूरी के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे, जहां उनका शोषण होगा।
3800 एकड़ जमीन अधिग्रहण की भी बनी थी योजना
सरकार ने 2 वर्ष पूर्व पिल्लूखेड़ा के इन्हीं गावों में औद्योगिक विकास के लिए 3800 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने की योजना भी बनाई थी। उसके लिए सर्वेक्षण किया गया और भूमालिकों से उनकी सहमति ऑनलाइन मांगी गई थी। उस योजना की दो इकाइयों के लिए खरक गादियां गांव की 440 एकड़, ढाटरथ की 1080 एकड़, जामनी गांव की 315 एकड़, अमरावती खेड़ा की 15 एकड़, जामनी गांव की 890 एकड़, भुरान गांव की 610 एकड़ व अमरावली खेड़ा की 300 एकड़, कुल 3800 एकड़ जमीन को अधिग्रहित करने का प्रस्ताव था, जो अधर में लटका है। अब यह देखना है कि उस योजना के लिए सरकार अलग से जमीन अधिग्रहित करती है या इस नियंत्रित क्षेत्र की जमीनों का ही अधिग्रहण औद्योगिक विकास के लिए किया जाता है। फिलहाल प्रशासन ने पिल्लूखेड़ा उपतहसील परिसर में इस आशय का बोर्ड स्थापित कर दिया है जिसमें कहा गया है कि इस अधिसूचना से संबंधित नियंत्रित क्षेत्र की जमीनों में किसी भी निर्माण के लिए सक्षम अधिकारी की स्वीकृति जरूरी होगी।
6 साल में जारी हुई अधिसूचना, चार बार बना ड्राफ्ट
सफ़ीदों के इस क्षेत्र को नियंत्रित घोषित करने की कार्रवाई वर्ष 2019 की शुरुआत में ही तत्कालीन महिला जिला नगर योजना अधिकारी द्वारा शुरू की गई थी। अक्तूबर 2020 में इसका पहला ड्राफ्ट तैयार हुआ लेकिन इस क्षेत्र में विकास को गति देने का दावा करने वाले एक वरिष्ठ सत्ताधारी नेता ने ही इसकी फाइल को रुकवा दिया। फिर इसका ड्राफ्ट सितंबर, 2022 में तैयार किया गया। उसमें फेरबदल करके फिर जून, 2023 में इसका ड्राफ्ट तैयार हुआ। उसके बाद फिर 12 मार्च, 2024 को इसका ड्राफ्ट या डिजाइन मुख्यालय को भेजा गया जिसके आधार पर यह अधिसूचना जारी की गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अभी तो विभाग इसकी विस्तृत योजना इस अधिसूचना के एक वर्ष की अवधि के भीतर बनाकर सरकार को भेजेगा। उसके विरोध में कोई व्यक्ति यदि अपील करेगा तो इसका निष्पादन सरकार को दो माह की अवधि के भीतर करना होगा। सूत्रों का सीधे तौर पर कहना था कि सरकार चाहे तो इसका रास्ता खुलने में देर नहीं और इसे लटकाना चाहे तो बहाने बहुत हैं।