मदनलाल गर्ग/हप्र
फतेहाबाद, 22 जुलाई
लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद फतेहाबाद में सीएम नायब सिंह सैनी की पहली रैली होगी। यहां से विधायक दूड़ाराम बिश्नोई इस रैली का आयोजन करवा रहे हैं। यह रैली दूड़ाराम के राजनीतिक भविष्य के लिए काफी अहम होगी। लोकसभा चुनावों के दौरान फतेहाबाद हलके में भाजपा का प्रदर्शन शर्मनाक रहा। यहां से भाजपा प्रत्याशी डॉ़ अशोक तंवर को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। ऐसे में दूड़ाराम की टिकट पर भी तलवार लटकी हुई है। रैली में आने वाली भीड़ विधायक व भाजपा की लोकप्रियता का पैमाना
तय करेगी।
प्रत्येक चुनाव के समय यह आम चर्चा होती है कि दूड़ाराम अपने मतों की गिनती 25 हजार से शुरु करते हैं। यानी हलके का बिश्नोई मतदाता एकजुट होकर दूड़ाराम को मत करता है। चाहे दूड़ाराम किसी भी पार्टी में हों लेकिन इस बार के लोकसभा चुनावों में बिश्नोई मतदाता दूड़ाराम से छिटके नजर आए। बिश्नोई बहुल गांवों में दूड़ाराम ने कुलदीप बिश्नोई व उनके विधायक पुत्र भव्य बिश्नोई का भी दौरा मतदान के अंतिम दिन तक करवाया। अपने समाज की काफी मानमनौवल भी की, लेकिन बिश्नोई बाहुल्य गांवों में भाजपा प्रत्याशी को हार मिली।
पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार गत लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा के समर्थन में पहली बार फतेहाबाद हल्के में चुनाव प्रचार के लिए आए थे। बिश्नोई समाज ने भी चंद्रमोहन बिश्नोई का पूरा साथ दिया।
यहां यह भी बता दें कि इससे पहले पिछले साल अनाजमंडी में पंचनद के राज्यस्तरीय कार्यक्रम में कुर्सियां खाली रही तथा फतेहाबाद के लोगों की भागीदारी कुछ सौ तक ही सिमट गई थी। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर थे। लोकसभा चुनावों के दौरान मतदान से दो दिन पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी ने फतेहाबाद में रोड-शो भी किया था लेकिन उसमें लोगों की भागीदारी न के बराबर रही। भाजपा के सभी पदाधिकारियों को मिलाकर संख्या मात्र 200-250 तक ही पहुंच पाई। रोड-शो की असफलता का शहर के लोगों पर इतना प्रभाव पड़ा कि शहर में भी भाजपा बड़ी मुश्किल से लीड मिल पाई। अहम बात यह है कि उस रोड-शो में मुख्यमंत्री के साथ दूड़ाराम के अलावा कुलदीप बिश्नोई व गोपाल कांडा भी थे। अब 25 जुलाई को देखना है कि मुख्यमंत्री की रैली में दूड़ाराम कितनी भीड़ जुटा पाते हैं। रैली में यह भी देखने वाली बात होगी कि मुख्यमंत्री नायब सैनी दूड़ाराम को कितनी तवज्जो देते हैं तथा पांच साल से विकास की बाट जोह रहे फतेहाबाद हलके को कोई पैकेज मिलता है या नहीं।
लोग तो यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि मेडिकल कालेज का जो बोर्ड फतेहाबाद से उखड़कर टोहाना गया है। शायद, फिर से फतेहाबाद में लग जाए।
कांडा पर रहेगी नज़र
मुख्यमंत्री की रैली के दौरान पिछले कुछ सप्ताह से फतेहाबाद में सक्रिय हुए गोविंद कांडा पर भी लोगों की नजर रहेगी कि उन्हें मुख्यमंत्री दूड़ाराम के मुकाबले कितनी तवज्जो देते हैं। चूंकि नगर परिषद के प्रधान सहित अधिकांश पार्षद गोबिंद कांडा के साथ देखे जा रहे हैं। हलके में कांडा की सक्रियता से यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि इस बार गोबिंद कांडा फतेहाबाद से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।