नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 27 जून
पिछले डेढ़ दशक से द्वारका एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने का लोग इंतजार कर रहे हैं। सरकारी कार्यों में ढिलाई का सबसे बड़ा उदाहरण द्वारका एक्सप्रेस वे है। लोग पिछले 15 सालों से दिल्ली और गुरुग्राम के बीच बेहतर रोड कनेक्टिविटी का सपना संजोय बैठे हैं, लेकिन निर्माण आज तक पूरा नहीं हुआ। इसका असर सरकारी खजाने पर भी पड़ा। देरी के कारण प्रोजेक्ट की लागत 7500 करोड़ से बढ़कर 9 हजार करोड़ रुपए हो गई है। प्रधानमंत्री के स्तर पर इस एक्सप्रेस-वे के जल्द निर्माण के निर्देश दिए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर परिणाम अपेक्षाओं के अनुसार नहीं दिखे। वर्ष 2006 में पहली दफा गुरुग्राम-मानेसर अर्बन डवलेपमेंट प्लान जारी करते समय इस एक्सप्रेस-वे की परिकल्पना की गई तो गुरुग्राम के पश्चिमी क्षेत्र में बिल्डरों ने हजारों एकड़ जमीन खरीद डाली। इसके साथ ही शुरू हो गया लोगों को सपने दिखाकर आशियाने का खेल। एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर करीब 250 से ज्यादा निजी रिहायशी, कमर्शियल व दूसरे प्रोजेक्ट्स को लाइसेंस मिल गए तथा लाखों लोगों ने द्वारका एक्सप्रेस-वे के किनारे अपने आशियाने का सपना संजोना शुरू कर दिया।
अंडरपास, एलीवेटिड रोड, सड़क व इससे संबंधित दूसरे काम चल रहे हैं। कोरोना ने काम को काफी प्रभावित किया है। दूसरी लहर में भी बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर चले गए थे। इन्हें वापस आने में समय लग रहा है। लेबर ज्यादा आ गई तो काम और ज्यादा तेजी के साथ किया जाएगा। हमारा प्रयास है कि निर्धारित डेड लाइन अगस्त 2022 तक काम पूरा कर लिया जाए।’
– किशन जंबूलकर, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई
द्वारका एक्सप्रेस-वे पर दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे से जुड़ रहे जंक्शन को बनवाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, ताकि दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे का यातायात सुगम रूप से फरीदाबाद की ओर व दिल्ली की ओर जा सके। एक्सप्रेस-वे शुरू होते ही खेड़की दौला टोल को समाप्त कर दिया जाएगा। हाल ही में मैंने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ एक्सप्रेस वे के निर्माण कार्य में हो रही देरी के कारणों को जानने के लिए इस एक्सप्रेस वे का दौरा किया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर द्वारका एक्सप्रेस-वे को जल्द पूरा करने की मांग करूंगा।
-दराव इंद्रजीत सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री एवं स्थानीय सांसद
2006 में बनी थी योजना
द्वारका एक्सप्रेस-वे की परिकल्पना वर्ष 2006 में की गई थी। तब इसकी निर्माण लागत 7500 करोड़ रुपए आने का अनुमान लगाया गया था। वर्ष 2011 में इसके निर्माण का ठेका अलॉट किया गया, लेकिन दिल्ली व हरियाणा में जमीन अधिग्रहण, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) तथा एचएसवीपी के बीच आपसी विवाद के कारण योजना अंधेरे कुएं में चली गई। नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद नए सिरे से योजना को कार्यरूप देना शुरू किया गया। इसके बाद एआईआई ने अपनी जमीन एनएचएआई को अपनी जमीन बेचने की स्वीकृति दे दी। नए सिरे से इसका कार्य जे कुमार इंफ्राप्रोजेक्ट्स (दिल्ली की सीमा में) तथा लार्सन एंड टर्बो (एलएंडटी) को हरियाणा के हिस्से का कार्य दिया गया। इस एक्सप्रेस-वे को चार पैकेज में बनाया जा रहा है। अब इसका निर्माण पूरा होने की डेडलाइन अगस्त 2022 निर्धारित की गई है।
ये होगी खासियत
करीब 29 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे का 18.9 किमी का हिस्सा हरियाणा तथा 10.1 किमी हिस्सा दिल्ली की सीमा में है। इसमें से 23 किलोमीटर का हिस्सा सिंगल पिलर फ्लाईओवर पर 8 लेन का होगा। एक्सप्रेस-वे टोल बूथ रहित पूरी तरह से ऑटोमेटिड होगा। एक्सप्रेस-वे पर कुल चार किलोमीटर की लंबाई में वाहन सुरंग से निकलेंगे। इस एक्सप्रेस-वे पर 6 लेन की सर्विस रोड भी बनाई जानी है। द्वारका के पास इस एक्सप्रेस-वे पर भारत का पहला चार लेवल का इंटरचेंज का निर्माण किया जाएगा, जिसमें टनल अथवा अंडरपास, ग्रेड रोड, ऐलीवेटिड फ्लाईओवर तथा फ्लाईओवर से ऊपर एक और फ्लाईओवर बनेगा। एयरपोर्ट के लिए 3.6 किलोमीटर लंबाई की 8 लेन की टनल (सुरंग) बनाई जाएगी और यह अर्बन रोड टनल देश की अपनी तरह की पहली होगी। इस एक्सप्रेस-वे से सीधे एयरपोर्ट पहुंचा जा सकेगा।
जानबूझकर की जा रही देरी: कैप्टन अजय
पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकाल में दिल्ली-गुरुग्राम के बीच यातायात सुगम बनाने के लिए कई शानदार सड़कों की परिकल्पना की गई, लेकिन भाजपा ने सत्ता संभालते ही इन सभी कार्यों पर ब्रेक लगा दिए। व्यापक जनहित के निर्माण कार्यों में जानबूझकर देरी की जा रही है। वह आरोप लगाते हैं कि एक्सप्रेस-वे के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है। इसको लेकर लोग भी चिंतित हैं। हाल ही में एक्सप्रेस-वे का स्पैन गिरना इसका प्रमाण है। सरकार को चाहिए कि डेडलाइन लांघने वाली निर्माण कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाकर निश्चित अवधि में कार्य पूरा करवाए ताकि जो लोग सालों से निर्माण कार्य के कारण परेशानियों से जूझ रहे हैं उन्हें राहत मिल सके।
रफ्तार धीमी, लग सकते हैं 2 साल: गौरव
द्वारका एक्सप्रेस-वे के किनारे सेक्टर 109 निवासी गौरव प्रकाश चल रहे निर्माण कार्य पर असंतुष्टि जाहिर करते हैं। वह कहते हैं कि सिर्फ फेज तीन यानी दिल्ली बॉर्डर से बसई गांव तक ही निर्माण कार्य ठीक है। शेष दोनों फेज में काम की गति काफी कम है। अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा डेड लाइन क्रॉस हो चुकी हैं, लेकिन इसके लिए न तो किसी अफसर को जिम्मेदार ठहराया गया है और न ही कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। जितना धीमा काम चल रहा है उससे नहीं लगता कि आने वाले दो साल और निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा। अभी जमीन के कई टुकड़े ऐसे हैं जिनका अधिग्रहण किया जाना भी बाकी है। सरकार को जल्द इस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहिए।
आगे न बढ़ाई जाए डेड लाइनः प्रखर
इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य पर बारीकी से नजर रखने वाले प्रखर सहाय का कहना है, ‘एक्सप्रेस-वे का सपना दिखाकर बिल्डर सालों पहले अपने प्रोजेक्ट्स बेच चुके हैं। तीन लाख से ज्यादा लोग कुछ साल पहले तक इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण का सपना ही देखना बंद कर चुके थे, लेकिन अब उम्मीद जगी है, बस बार-बार निर्माण कार्य पूरा होने की डेड लाइन और आगे न बढ़ाई जाए।’ उनके अनुसार निर्माण कार्य को कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के साथ-साथ एनजीटी द्वारा लगाए जाने वाले ग्रैप अवधि ने भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। काफी परिवार ऐसे हैं जिन्होंने द्वारका एक्सप्रेस-वे के निर्माण की आस में इसके आसपास विकसित सेक्टर 74ए से 115 तक में अपने लिए आशियाने खरीदे थे।