भिवानी, 27 अक्तूबर (हप्र)
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. डा. जगबीर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से संस्कृत भाषा को शिक्षा क्षेत्र में व्यापक तौर पर समावेश करने का एक नया आयाम मिला है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड देश का एक ऐसा बोर्ड है, जिसने 42 संस्कृत के गुरुकुलाें को मान्यता एवं सम्बद्धता दी है तथा पाठ्यक्रम तय कर दिया है। संस्कृत पूर्व मध्यमा एवं उत्तर मध्यमा से पढ़े हुए विद्यार्थियों को बोर्ड द्वारा 10वीं व बारहवीं के समकक्ष मानते हुए प्रमाण-पत्रों का अनुमोदन कर दिया गया है। बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए हरसम्भव प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबंधित विद्यालयों के अलावा प्रांत में स्थित सीबीएसई व आईसीएसई के स्कूलों की 8वीं की भी परीक्षा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा ली जाएगी। वे हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के परिसर में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, हरियाणा संस्कृत अकादमी, पंचकूला व संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वावधान में देश की आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में संस्कृत की प्रासंगिकता विषय पर बुधवार को आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जितेंद्र भारद्वाज, रजिस्ट्रार, चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय रहे। हरियाणा संस्कृत अकादमी, पंचकूला के निदेशक डा. दिनेश शास्त्री, जय प्रकाश गौतम, क्षेत्रीय संगठन मन्त्री संस्कृत भारती मौजूद थे। जितेन्द्र भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत केवल हमारी भाषा ही नहीं है अपितु भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।
डिजिटलाइज्ड होगी संस्कृत अकादमी
जय प्रकाश गौतम ने कहा कि भारत की संस्कृति यदि जल है तो पात्र संस्कृत है, यदि हम पात्र को बचाएगें तो उसके अन्दर का जल बचाया जा सकता है। संस्कृत भारती द्वारा विश्वभर के 24 देशों में सक्रियतापूर्वक संस्कृत भाषा को पढऩे एवं पढ़ाने में बढ़ावा दिया जा रहा है। डा. दिनेश शास्त्री ने कहा कि हरियाणा संस्कृत अकादमी भारत की पहली डिजिटलाइज्ड अकादमी बनने जा रही है।