गुरुग्राम, 27 अक्तूबर (हप्र)
नगर निगम में आउटसोर्स पाॅलिसी के तहत लगे 500 से ज्यादा कर्मचारी सरप्लस हैं। निगम अधिकारियों ने तय किया है कि इन्हें निकालने की बजाय निगम के बढ़े हुए क्षेत्र में कार्य पर लगाया जाएगा, लेकिन ‘खराब रिकार्ड’ वाले कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी की जा रही है। इस पर अंतिम फैसला निगम कमिश्नर द्वारा किया जाना है।
दो महीने पहले नगर निगम में आउटसोर्स के तहत भर्ती कर्मचारियों के काम का आकलन किया गया। सभी विभाग प्रमुखों से सरप्लस कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई। 500 से ज्यादा कर्मचारी सरप्लस पाए गए हैं। इनमें जेई स्तर तक के कर्मचारी भी शामिल हैं। फिलहाल इन कर्मचारियों को नौकरी से नहीं हटाने का फैसला लिया गया है। पिछले दिनों नगर निगम के अधिकार दायरे में नया क्षेत्र शामिल किया गया है। इस क्षेत्र में फिलहाल बड़े पैमाने पर कार्य नहीं किए जा रहे लेकिन आने वाले दिनों में विकास कार्यों की डीपीआर के आधार पर काम शुरू होंगे तथा वार्डबंदी के बाद काम का दबाव भी बढ़ेगा। इसलिए इन कर्मचारियों का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में होने वाले कार्यों के लिए किया जाएगा। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने आउटसोर्स पाॅलिसी बंद कर दी है। ऐसे में भविष्य में अपनी जरूरत के अनुसार कर्मचारियों की संख्या नगर निगम स्वयं नहीं बढ़ा सकेगा। मांग के अनुसार कर्मचारी सरकार द्वारा गठित कौशल रोजगार निगम के मार्फत ही लगाए जा सकेंगे। इस लंबी प्रक्रिया से बचने के लिए निगम ने तय किया है कि कर्मचारियों को दूसरे कार्यों में लगाया जाए।
निगम कमिश्नर लेंगे फैसला
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरप्लस कर्मचारियों में से काफी ऐसे लोगों की सूची भी बनाई गई है जिनका रिकार्ड दागदार रहा है, इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। ऐसे कर्मचारियों की संख्या 24 से अधिक है। इनके उपर अगले कुछ दिनों में गाज गिरनी तय है। इनके खिलाफ कार्रवाई से संबंधित अंतिम फैसला निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा को लेना है।
हर महीने के वेतन पर 22 करोड़ खर्च
नगर निगम का खजाना रसातल में जा रहा है। इसके बावजूद सरप्लस कर्मचारियों का बोझ उठाने को मजबूर है। नगर निगम में स्थाई व आउटसोर्स पाॅलिसी के तहत कुल मिलाकर करीब 4 हजार अधिकारी व कर्मचारी हैं। इन्हें औसतन 21 से 22 करोड़ रुपये हर महीने वेतन के रूप में दिए जाते हैं।