दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
रामपुरा, 16 सितंबर
अहीरवाल में इस बार ‘रामपुरा’ की प्रतिष्ठा दांव पर है। एक दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर भाजपा को बड़ी उम्मीद है। इस बार इस बेल्ट के भी समीकरण बदले हुए हैं। अहीरवाल के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह यानी ‘राजा साहब’ को इस बार पसीना बहाना होगा। भाजपा ने भी पहले के मुकाबले इस बार राव इंद्रजीत सिंह पर उम्मीद से अधिक भरोसा जताया है। इन बेल्ट में आने वाले हलकों से चुनाव लड़ रहे कई नेताओं को राव के प्रभाव से ही उम्मीद है।
हरियाणा में भाजपा को लगातार दो बार सत्ता तक पहुंचाने में दक्षिण हरियाणा और अहीरवाल बेल्ट की ही रही। दक्षिण हरियाणा में ब्रज बेल्ट के पलवल और फरीदाबाद जिले भी शामिल हैं। बेशक, भाजपा नेतृत्व ने इस बार टिकट आवंटन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की पसंद-नापसंद का काफी ख्याल रखा है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के अलावा कृष्णपाल गुर्जर, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के कहने पर भी कई नेताओं को टिकटें मिली हैं।
राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से इस बेल्ट में आठ नेताओं को चुनाव लड़वाया जा रहा है। इनमें राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव भी शामिल हैं, जो अटेली से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। आरती के लिए राजनीति बेशक नई नहीं है, लेकिन उनका खुद के चुनाव लड़ने का यह पहला अनुभव है। बेशक, इससे पहले वे अपने पिता राव इंद्रजीत सिंह के चुनावी कैम्पेन को संभालती रही हैं। भाजपा ने यहां से विधायक रहे सीताराम की टिकट काटकर आरती सिंह राव को चुनावी मैदान में उतारा है। अटेली में दिलचस्प चुनावी मुकाबला होता दिख रहा है। प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस ने पूर्व मुख्य संसदीय सचिव अनिता यादव को आरती के मुकाबले टिकट दिया है।
2019 के विधानसभा चुनावों में राव इंद्रजीत सिंह के भाई अजीत सिंह के बेटे अर्जुन ने कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था। अर्जुन सिंह अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। ऐसे में कांग्रेस ने एक बार फिर अनिता यादव पर भरोसा जताया है। बसपा व इनेलो गठबंधन के उम्मीदवार अत्तर लाल चुनाव को रोचक बना रहे हैं। अत्तर लाल ने 2019 में भी बसपा टिकट पर ही चुनाव लड़ा था और वे अच्छे मतों के साथ दूसरे पायदान पर रहे थे। अटेली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रही है। वहीं जननायक जनता पार्टी प्रत्याशी आयुषी राव मुकाबले को मल्टी कार्नर बनाने की कोशिश में हैं। अभी तक के हालात के हिसाब से तो त्रिकोणीय मुकाबला ही दिखता है। नांगल-चौधरी सीट से भाजपा टिकट पर जीत की हैट्रिक के लिए मैदान में डटे अभय सिंह यादव की मुश्किलें कांग्रेस के फार्मूले ने बढ़ा दी हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक मूलाराम की पत्नी मंजू चौधरी को नांगल-चौधरी ने अभय यादव के मुकाबले खड़ा किया है। मंजू चौधरी के ससुर चौ़ फूसाराम भी विधायक रहे हैं। कांग्रेस ने इस हलके के गुर्जर, जाट और एससी वोट बैंक के समीकरणों के हिसाब से मंजू चौधरी पर दांव लगाया है। ऐसे में यहां मुकाबला आमने-सामने का बना हुआ है। वहीं जजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे ओमप्रकाश इंजीनियर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं। ओमप्रकाश इंजीनियर को मिलने वाला वोट बैंक अभय सिंह यादव की हार-जीत में अहम भूिमका अदा करेगा।
इसी तरह रेवाड़ी सीट पर भी आमने-सामने की टक्कर देखने को मिल रही है। कांग्रेस के मौजूदा विधायक और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव मैदान में हैं। भाजपा ने कोसली विधायक लक्ष्मण यादव को शिफ्ट करके रेवाड़ी से उम्मीदवार बनाया है। भाजपा टिकट के दावेदार रहे सतीश यादव बागी होने के बाद आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनावी मैदान में डटे हैं। सतीश यादव इस सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। वहीं यहां से विधायक रहे रणधीर सिंह कापड़ीवास की चुप्पी भाजपा के लिए बड़ी टेंशन का कारण बनी हुई है।
रणधीर कापड़ीवास ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। रेवाड़ी की सीट पर हार-जीत में दोनों ही फैक्टर बड़े अहम रहने वाले हैं। इनमें पहला रणधीर कापड़ीवास का रुख है और दूसरा सतीश यादव के चुनाव लड़ने पर निर्भर करेगा। हालांकि रेवाड़ी की सीट पर कैप्टन अजय सिंह यादव का बड़ा प्रभाव माना जाता है। इस सीट पर लगातार पांच बार जीत हासिल करने का रिकार्ड आज तक भी कैप्टन के नाम दर्ज है। इसे तोड़ना तो दूर जीत की हैट्रिक भी दूसरा कोई नेता यहां से नहीं लगा पाया है। अजय यादव ने अपने पिता अभय यादव की सीट पर अपना वर्चस्व बनाया।
रामपुरा में मिल सकता है झटका
रेवाड़ी शहर से सटा बावल हलके का रामपुरा गांव राव इंद्रजीत सिंह का पैतृक गांव है। अहीरवाल की राजनीति रामपुरा हाउस से ही चलती रही है। रामपुरा हाउस यानी राव बिरेंद्र सिंह की कोठी इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई अजीत सिंह के पास है। राव इंद्रजीत सिंह ने अपना फार्म हाउस गांव में ही बनाया हुआ है। वहीं यादवेंद्र सिंह की भी इसी गांव में कोठी है। एससी बाहुल्य इस गांव में 700 के लगभग यादव वोट भी हैं। रामपुरा हरियाणा के उन चुनिंदा गांवों में शामिल है, जो किसी भी मामले में शहरों से कम नहीं हैं। इस गांव में सीवरेज व्यवस्था भी है और बिजली का भी पूरा प्रबंध है। हालांकि पानी एक दिन छोड़कर आता है। रामपुरा से सटा डालियाकी गांव बावल हलके में ही आता है।
गांव के अमर सिंह का कहना है कि गांव में हरिजन चौपाल के लिए राव बिरेंद्र सिंह ने जमीन दी थी, लेकिन आज तक भी चौपाल नहीं बन पाई। रामपुरा के अमरनाथ, लीलाराम व तेजकुमार ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने एससी परिवारों को 100-100 गज के प्लाट की योजना बनाई थी। भाजपा ने इस योजना को भी बंद कर दिया और जिन लोगों को प्लाट मिलने थे, उन्हें भी नहीं दिए गए।
बावल में दो डॉक्टरों में भिड़ंत
बावल में दो डॉक्टर आमने-सामने होंगे। भाजपा ने कैबिनेट मंत्री डॉ बनवारी लाल की टिकट काटकर स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा के निदेशक पद से वीआरएस लेकर आए डॉ कृष्ण कुमार को राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर टिकट दी है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. एमएल रंगा पर विश्वास जताया है। दोनों डॉक्टरों के बीच आमने-सामने की भिड़ंत बावल में देखने को मिल रही है। बनवारी लाल लगातार दो बार बावल से विधायक रहे। टिकट कटने के बाद से वे चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी चुप्पी के गंभीर मायने हैं। बनवारी लाल का स्टैंड भी बावल के चुनाव का रुख तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। वहीं जजपा टिकट पर इनेलो के पूर्व विधायक रामेश्वर दयाल चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सोमवार को उन्होंने अपना परचा वापस ले लिया।
नारनौल में राव बनाम राव
महेंद्रगढ़ जिले के मुख्यालय नारनौल की सीट इस बार दिलचस्प मुकाबले में फंसी है। मनोहर सरकार में राज्य मंत्री रहे और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के करीबियों में शामिल ओमप्रकाश यादव एडीओ पर भाजपा ने फिर से भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरी भारती सैनी ने अपना नामांकन-पत्र वापस ले लिया है। गत दिवस सीएम नायब सिंह सैनी महेंद्रगढ़ में प्रो़ रामबिलास शर्मा के घर पहुंचे थे। रामबिलास के प्रयास से ही भारती सैनी ने अपना नामांकन वापस लिया है। वहीं जजपा से सुरेश सैनी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर सैनी वोट बैंक काफी बड़ा है। यह वोट बैंक भी चुनाव में हार-जीत में अहम भूमिका निभाएगा।
राव की परंपरागत सीट पर द्वंद्व
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की परंपरागत सीट कोसली पर कड़ा मुकाबला बना हुआ है। 2008 के परिसीमन में जाटूसाना को खत्म करके कोसली हलका बनाया गया। जाटूसाना से राव इंद्रजीत सिंह के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह विधायक रहे। राव इंद्रजीत सिंह भी जाटूसाना से चार बार विधायक बने। भाजपा ने इस बार राव इंद्रजीत सिंह के करीबी अनिल डहीना को टिकट दिया है। बंसीलाल सरकार में मंत्री रहे जगदीश यादव कांग्रेस टिकट पर अनिल डहीना को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। राव इंद्रजीत सिंह के भाई व पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह कांग्रेस टिकट कटने के बाद चुप हैं। यादव बाहुल्य अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों के साथ उनका एंटी वोट बैंक भी है। वहीं यादवेंद्र सिंह की भूमिका भी कोसली में अहम रहने वाली है।
रामबिलास शर्मा भी एक चुनावी फैक्टर
अहीरवाल की राजनीति में भाजपा के वरिष्ठतम नेताअों में शुमार पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा भी एक बड़ा फैक्टर हैं। 47 वर्षों में यह पहला मौका है जब महेंद्रगढ़ में बिना रामबिलास के चुनाव लड़ा जा रहा है। 1997 से 2019 तक लगातार विधानसभा के दस चुनाव लड़ने वाले रामबिलास शर्मा पांच बार विधायक बने। उनकी इलाके में मजबूत पकड़ है। भाजपा ने इस बार उनकी टिकट काटकर कंवर सिंह यादव को दी है। रामबिलास की टिकट कटने का असर साफ-साफ देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक राव दान सिंह को ही टिकट दिया है। महेंद्रगढ़ की सीट पर आमने-सामने की टक्कर दिख रही है। 2019 में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले संदीप इंजीनियर इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में रामबिलास शर्मा की हार में सबसे बड़ा कारण संदीप सिंह ही बने। पूर्व शिक्षा मंत्री बहादुर सिंह के बेटे संदीप सिंह एचसीएस अधिकारी रहे हैं।