दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 3 जून
प्रदेश की सबसे हॉट सीट करनाल पर इस बार पूरे प्रदेश की नजरें लगी हैं। हरियाणा में लगातार सवा नौ वर्षों से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल यहां से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने उनके मुकाबले यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को चुनाव लड़वाया। वहीं इनेलो के समर्थन से एनसीपी के मराठा वीरेंद्र वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह से रोहतक संसदीय सीट भी प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से लगाचार पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। दीपेंद्र रोहतक से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में वे भाजपा के अरविंद शर्मा के हाथों करीब साढ़े 7 हजार मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। इस बार भी उनका मुकाबला अरविंद शर्मा से ही हुआ। सिरसा से कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को चुनाव लड़वाया। कांग्रेस के ही प्रदेशाध्यक्ष रहे डॉ. अशोक तंवर सिरसा से भाजपा टिकट पर कुमारी सैलजा के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। सिरसा में आमने-सामने की टक्कर चुनावों के दौरान बनी रही। दो बार सिरसा और दो बार ही अंबाला से सांसद रह चुकीं कुमारी सैलजा ने एक बार फिर सिरसा का मैदान चुना।
हिसार में रिश्ते थे दांव पर
हिसार सीट का चुनाव इस बार बड़ा दिलचस्प रहा। चौ़ देवीलाल के बेटे चौ़ रणजीत सिंह भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ा। वहीं देवीलाल परिवार की ही दो बहुएं – जजपा से नैना चौटाला और इनेलो से सुनैना चौटाला अपने ही चाचा ससुर को चुनौती देती नजर आईं। कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ ने रणजीत सिंह को टक्कर दी।
केंद्र में जाएंगे मनोहर
2014 में पहली बार करनाल से विधायक बने मनोहर लाल को ही पूर्ण बहुमत वाली सरकार का मुख्यमंत्री बनाया गया। प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका था जब भाजपा 47 सीटों के साथ बहुमत से सत्ता में आई। इससे पहले भाजपा केवल गठबंधन में ही सत्ता में रही। 2019 के मनोहर लाल लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 12 मार्च को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसके बाद 13 मार्च को ही उन्हें करनाल लोकसभा से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। मनोहर अब मोदी टीम में काम करेंगे। उनका केंद्र में जाना तय है।
सोनीपत में टकराए दो ब्राह्मण
कांग्रेस आमतौर पर सोनीपत संसदीय सीट से जाट उम्मीदवार उतारती रही है। भाजपा ने मौजूदा सांसद रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काटकर राई विधायक मोहनलाल बड़ौली को ब्राह्मण कोटे से टिकट दिया। कांग्रेस ने सोशल इंजीनियरिंग अपनाते हुए यहां से जींद के गांगोली गांव के सतपाल ब्रह्मचारी (ब्राह्मण) को टिकट दिया। दोनों ओर से ब्राह्मण उम्मीदवार मैदान में आने से मुकाबला कांटे का बन गया। सोनीपत क्षेत्र को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव वाला एरिया माना जाता है। ऐसे में इस सीट पर होने वाली हार-जीत से हुड्डा के राजनीतिक कद पर भी असर पड़ेगा। 2019 में हुड्डा खुद सोनीपत से लोकसभा चुनाव लड़े थे लेकिन भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक के हाथों हार गए थे।
गुर्जरों में पहली बार भिड़ंत
फरीदाबाद संसदीय सीट पर दोनों प्रमुख दलों – भाजपा व कांग्रेस के गुर्जर दिग्ग्जों के बीच टकराव तो 2014 से ही चलता आ रहा है। लेकिन यह पहला चुनाव था, जिसमें कांटे की टक्कर देखने को मिली। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर भाजपा टिकट पर लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने उनके मुकाबले पूर्व मंत्री व पांच बार के विधायक महेंद्र प्रताप सिंह को चुनाव लड़वाया। चुनाव में दोनों ही गुर्जर दिग्गजों के बीच आमने-सामने का मुकाबला देखने को मिला। अब नतीजों से तय होगा कि इस बार कौन सा गुर्जर मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहा।
कुरुक्षेत्र में महाभारत
कुरुक्षेत्र सीट में 20 वर्षों के बाद नवीन जिंदल और अभय सिंह चौटाला फिर आमने-सामने हुए। इस बार जिंदल कांग्रेस की बजाय भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इंडिया गठबंधन से आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुशील गुप्ता ने नवीन जिंदल को कड़ी टक्कर दी। वहीं इनेलो टिकट पर चुनाव लड़ रहे अभय सिंह चौटाला यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते नजर आए। इस सीट पर जाट, सिख और एससी मतदाताओं ने मुकाबले को दिलचस्प बनाया।
अंबाला में दिग्गजों की साख का सवाल
अंबाला सीट पर सरकार का सबसे अधिक साझा है। सीएम नायब सिंह सैनी का गृह जिला है। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता पंचकूला से विधायक हैं। कृषि मंत्री कंवर पाल गुर्जर जगाधरी से और परिवहन मंत्री असीम गोयल अंबाला सिटी से विधायक हैं। पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अंबाला कैंट का प्रतिनिधित्व करते हैं। यमुनानगर में भाजपा के घनश्याम दास अरोड़ा विधायक हैं। भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया चुनाव लड़ रही हैं। वहीं मुलाना से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। इस सीट पर भी मुकाबला रोचक बना रहा।