रोहतक, 4 जुलाई (निस)
औघड़ पीर बाबा सूरतनाथ मठ के ब्रह्मलीन महंत शीशनाथ राम की पुण्यतिथि पर रविवार को वार्षिक मेले को प्रशासन ने मंजूरी नहीं दी। अनुयायियों ने चमारिया रोड स्थित परिसर में भंडारा व मेले का आयोजन किया। अनुयायियों ने प्रशासन पर आरोप लगाए कि दलितों को पूजा करने से रोकने के लिए प्रशासन ने यह कदम उठाया है। मिशन एकता समिति ने एक बार फिर एससी-एसटी आयोग को शिकायत भेजी है। समिति का आरोप है कि सूरतनाथ मठ को प्रशासन अपने कब्जे में रखना चाहता है। समिति ने इस मामले की जांच की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, प्रत्येक वर्ष अस्थल बोहर स्थित औघड़ पीर बाबा सूरतनाथ मठ में वार्षिक मेला लगता है, लेकिन इस बार प्रशासन ने मेले की अनुमति प्रदान नहीं की। मिशन एकता समिति की प्रदेश अध्यक्ष कांता आलड़िया ने बताया कि दो माह पहले प्रशासन ने धारा-145 के तहत डेरे को अपने कब्जे में ले लिया था, जबकि यह सम्पत्ति डेरे के नाम है लेकिन प्रशासन ने मनमाने तरीके से इस पर कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा कि इसी विवाद के चलते बाबा रामकुमार नाथ की मौत भी हो चुकी है। 4 जुलाई को मेले की अनुमति न मिलने के कारण वार्षिक मेला चमारिया रोड पर आयोजित किया गया, जिसमें हजारो की संख्या में अनुयायियों ने माथा टेका और बाबा से आशीर्वाद लिया। कांता आलड़ियां ने आरोप लगाया कि भाजपा के सांसद एवं महंत के इशारे पर यह सब कार्रवाई की जा रही है, क्योंकि दलित समाज ने बाबा मस्तनाथ मठ स्थित औघड़ पीर समाधियों को हटाने का विरोध किया था। कांता आलड़िया ने कहा कि समाधियों के दोबारा निर्माण को लेकर उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस अवसर पर महेंद्र बांगड़ी, मंजीत मोखरा, मोनू तपस्या, प्रिंस मल्होत्रा, नवीन मेहरा, राजपाल प्रजापति, आशु और रविंद्र मौजूद रहे।
सुरक्षा के चलते नहीं दी एनओसी : एसडीएम
एसडीएम राकेश कुमार ने बताया कि औघड़ पीर पर लगने वाले मेले को लेकर अनुयायियों की तरफ से अनुमति मांगी थी, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों के चलते एनओसी नहीं दी, जिसके कारण प्रशासन द्वारा मेले की अनुमति नहीं दी गई।