चंडीगढ़, 14 मई (ट्रिन्यू)
गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों को कोरोना की जांच और वैक्सीनेशन में सहयोग करना चाहिए। किसान न तो कोरोना टेस्टिंग के लिए आगे आ रहे हैं और न ही कोरोना वैक्सीनेशन में सहयोग कर रहे हैं। विज ने बताया कि उन्होंने जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी भेजी थी और राई रेस्अ हाउस मे किसान नेताओं की अधिकारियों के साथ बैठक भी करवाई थी, जिसमें उन्होंने टेस्ट कराने से साफ इंकार कर दिया और वैक्सीनेशन के लिए भी उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कैंप लगा दे, लेकिन हम किसी को वैक्सीनेशन के लिए नहीं कहेंगे।
अगर कोई वैक्सीनेशन करवाना चाहिता है तो अपनी इच्छा से करवा सकता है। विज ने कहा कि 10 दिन से ज्यादा हो गए केवल 1900 लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया है। किसानों को चाहिए कि उनके लिए आंदोलन से पहले महामारी से खुद बचना और दूसरों को बचाना आवश्यक हो। विज ने कहा कि हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों से भी किसान दिल्ली बॉर्डर पर आ रहे हैं। यहां किसानों द्वारा कोरोना टेस्टिंग नहीं करवाए जाने से कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बार्डर पर अगर कोई किसान कोरोना संक्रमित होकर यहां से जाता है तो कई लोगों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वह जिद छोड़कर कोरोना टेस्टिंग और वैक्सीनेशन के लिए आगे आएं। यहां अगर किसी किसान की तबीयत बिगड़ती है तो यह सरकार के लिए चिंता की बात है। गृहमंत्री ने बॉर्डर पर बैठे किसानों से दोबारा से अपील करते हुए कहा कि ये बीमारी है और एक-दूसरे के संपर्क मे आने से फैलती है।
कंपनियों से 66 लाख वैक्सीन की डिमांड
स्वास्थ्य मंत्री ने वैक्सीनेशन के लिए अस्पतालों को अतिरिक्त भवन का इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने का वैक्सीनेशन ही उपाय है, जिसे हम कर रहे हैं। हम 45 लाख से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन कर चुके हैं। हमने वैक्सीन कंपनियों से 66 लाख वैक्सीन की डिमांड की हुई है और हमें मिल भी रही है। इसके अलावा आवश्यकता अनुसार हमने ग्लोबल टेंडर करने का फैसला किया है, ताकि विश्व के किसी भी देश से वैक्सीन लाकर प्रदेश की जनता को मुफ्त लगाया जा सके।