पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 9 मार्च
कृषि कानूनों को रद्द कराकर एमएसपी पर गारंटी की मांग कर रहे किसानों ने दिल्ली की बेरुखी को लेकर कड़ा फैसला लेने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने 10 मार्च को बैठक का आह्वान किया है। बैठक में कठोर निर्णय लिए जाने की संभावना है। इसमें केएमपी पर स्थाई तौर पर जाम करने या संसद मार्च पर सहमति हो सकती है। चूंकि सरकार का जो रवैया दिख रहा है, उसमें बातचीत की गुंजाइश कम ही है। ऐसे में किसान संगठन 10 को हरियाणा विधानसभा में आ रहे अविश्वास प्रस्ताव के बाद यह बैठक करके कड़ा निर्णय लेंगे।
गौरतलब है कि यह बैठक पहले आज होनी थी, लेकिन इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया है। इधर, संयुक्त मोर्चा की समन्यव ने भी बैठक की है और आंदोलन की अगली रणनीति पर चर्चा की। मोर्चा के सदस्य एवं भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के सूबा प्रधान सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रसताव लाया गया है। इस प्रस्ताव पर 10 मार्च को वोटिंग होगी। हरियाणा की भाजपा सरकार ने आंदोलन स्थल पर दंगे कराने की कोशिश करने के अलावा कई तरह के हथकंडे अपनाकर आंदोलन को दबाने की कोशिश की है। इसलिए सरकार के खिलाफ वोटिंग के लिए विधायकों पर दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यदि इसमें सफलता मिलती है, तो यह मोर्चा की बड़ी जीत होगी और इससे केंद्र सरकार पर दबाव बनेगा और फिर इसी के अनुरूप आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि बैठक में आंदोलन को तेज करने के लिए मानव शृंखला, कुंडली-मानेसर-पलवल(केएमपी) एक्सप्रेस-वे को स्थायी तौर पर जाम करने और संसद भवन कूच करने का भी निर्णय लिया जा सकता है।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे सरकार के लिए समस्या खड़ी करेंगे, तभी सरकार उनके साथ बैठक करेगी। मोर्चा की बैठक में इन्हीं सब बातों पर विचार कर कोई एक्शन प्रोग्राम तय किया जाएगा।