झज्जर, 11 नवंबर (हप्र)
हाईटेंशन लाइन को लेकर किसानों द्वारा पिछले सालभर से चलाया जा रहा आंदोलन अब ओर ज्यादा तेज होने चला है। हाईटेंशन तार के लिए झज्जर के करीब तीन दर्जन गांवों से यह लाइन निकाली जानी है। जिसके लिए शासन और प्रशासन के साथ किसान संगठन की कई दौर की वार्ता हो चली है। लेकिन किसी भी वार्ता में अभी तक किसानों को खेतों से निकाली जाने वाली लाइन के मुआवजे को लेकर समाधान नहीं निकला है। किसान चाहते है कि मार्किट भाव से किसानों को मुआवजा दिया जाए। इसी के चलते सोमवार को भी एक किसान संगठन को एसडीएम द्वारा वार्ता के लिए बुलाया गया था। लेकिन काफी देर तक चली इस वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया। जिसके बाद किसानों ने एसडीएम कार्यालय से बाहर निकलकर अपनी नाराजगी नारेबाजी करके दिखाई। मीडिया से रूबरू होकर किसान संगठन के हरियाणा अध्यक्ष कर्मबीर दहिया ने बताया कि अब किसानाें ने अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए दिल्ली कूच का फैसला किया है। वह मंगलवार को 11 बजे के करीब झज्जर से दिल्ली स्थित राजघाट के लिए पैदल ही दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन अडानी और अम्बानी को लाभ पहुंचाना चाहता है। खेतों से गुजरने वाली यह हाईटेंशन लाइन सरकारी नहीं है। यह लाइन प्राइवेट कम्पनियों की है और प्रशासन और शासन इन्हीं कम्पनियों को लाभ पहुंंचाना चाहता है। उन्होंने कहा कि हाईटेंशन तार के लिए लाइन बिछाने का काम करने से झज्जर जिले के करीब तीन दर्जन गांवों से यह लाइन होकर गुजरनी है। यहां का किसान चाहता है कि उन्हें बाजार भाव से इसका उचित मुआवजा मिले। लेकिन अपने मन मुताबिक जो मुआवजा देने का जो फैसला किया गया है वह किसानों को कतई मंजूर नहीं है। इसके लिए किसान हर हाल में अपना आंदोलन उग्र करने को तैयार है।