हिसार, 23 नवंबर (निस)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय जल्द ही डिस्टिलरी से निकलने वाली फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश से फास्फॉटिक फर्टिलाइजर तैयार करने पर काम करेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय ने यूएसए में स्थित विश्व के एकमात्र उर्वरक शोध संस्थान इंटरनेशल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर (आईएफडीसी) के साथ एमओयू साइन किया है। इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए शुगरफेड हरियाणा प्रथम वर्ष एचएयू, आईएफडीसी व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को साढ़े सात करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगा। सपना साकार होने के बाद भारत प्रतिवर्ष लगभग 7 हजार करोड़ का उत्पादन कर सकेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि डिस्टिलरी से निकलने वाली फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश का निस्तारण मौजूदा समय में एक बड़ी समस्या है, इनका फास्फॉटिक फर्टिलाइजर बनाना ‘वेस्ट टू वेल्थ’ की सोच को सार्थक करने की दिशा में एक अहम कदम है। एमओयू के तहत विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों और किसानों के लिए अनुसंधान, शिक्षा व प्रशिक्षण जैसे विभिन्न सहयोगात्मक कार्यक्रमों का संयोजन व आदान-प्रदान करेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की तरफ से अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत, मानव संसाधन निदेशालय के निदेशक डॉ. एमएस सिद्धपुरिया, जबकि आईएफडीसी की तरफ से कंट्री निदेशक डॉ. यशपाल सहरावत व कंसल्टेंट डॉ. सांई दास ने हस्ताक्षर किए।
सालाना 7 हजार करोड़ के उर्वरक का होगा उत्पादन
यूएसए स्थित इंटरनेशल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर के कंट्री हेड डॉ. यशपाल सहरावत के अनुसार वर्तमान समय में पोटेशियम फर्टिलाइजर का एक 50 किलोग्राम का बैग, जिसकी कीमत करीब 750 रुपये तक आंकी गई है जबकि उसी बैग का विकल्प फास्फॉटिक फर्टिलाइजर मात्र 180 रुपये में उपलब्ध हो सकेगा। राज्य में सालाना लगभग 14 हजार टन पोटाश और 7 हजार टन फास्फोरस यानी लगभग 15 प्रतिशत पोटाश उर्वरक और 2 प्रतिशत फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन राज्य कर सकता है। इस तकनीक से भारत सालाना 7 हजार करोड़ रुपये की उर्वरक का उत्पादन कर सकता है।