बहादुरगढ़, 1 मई (निस)
पिछले दो साल से बहादुरगढ़ के उद्योगों पर कोई न कोई ग्रहण लग रहा है। पहले कोरोना, फिर किसान आंदोलन और अब बिजली संकट ने आफत खड़ी कर दी है। बिजली संकट का सबसे ज्यादा असर उद्योगों पर ही पड़ रहा है। बहादुरगढ़ फुटवियर का हब है। छोटी-बड़ी मिलाकर यहां पर 2 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं। कई उद्योगों में दिन-रात उत्पादन होता रहा है, लेकिन इन दिनों आठ घंटे के बिजली कट से रात की शिफ्ट बंद हो चुकी है। दिन में भी बिजली कटौती हो रही है। एक तरफ रात में उत्पादन ठप होने से कच्चे माल की भयंकर कमी हो रही है। दूसरी तरफ जनरेटर से उत्पादन करने पर जूता बनाने में लागत कहीं ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे में उद्योगों पर दोहरी मार पड़ रही है। यह संकट कब तक चलेगा, अभी तय नहीं है।
गिरा उत्पादन : प्रदेश में चल रहे बिजली संकट से बहादुरगढ़ के उद्योगों में उत्पादन ठप होने के कगार पर है। आठ घंटे के कट से रात में उत्पादन बंद हो चुका है। दिन में भी बिजली कटौती हो रही है। इससे यहां के उद्योगों में 60 प्रतिशत तक उत्पादन कम हो चुका है। बहादुरगढ़ चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र छिकारा का कहना है कि अगर जल्द संकट दूर न हुआ तो उत्पादन और कम हो जाएगा। कॉन्फेडरेशन आफ बहादुरगढ़ इंडस्ट्री के प्रधान एवं रबर उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक प्रवीण गर्ग ने बताया कि बिजली कटों ने फैक्ट्रियों को काफी नुकसान पहुंचाया है। करोड़ों का नुकसान इंडस्ट्री को हो चुका है।
95 फीसदी नाइट शिफ्ट बंद
बहादुरगढ़ चैंबर आफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्री के संयुक्त सचिव और यूनिस्टार फुटवियर के मालिक हरीशंकर बाहेती ने बताया कि बिजली सप्लाई न होने की वजह से 95 प्रतिशत फैक्ट्रियों में नाइट शिफ्ट बंद कर दी गई है। दिन में 11 घंटे ही फैक्ट्रियां चल पाती हैं और बीच में डीजी सेट भी चलाना पड़ता है। ऐसे में खर्च दोगुणा हो गया है और उत्पादन घटकर 40 प्रतिशत रह गया है। इससे फैक्ट्रियों के अमूमन आर्डर समय पर पूरे नहीं हो रहे हैं और उन्हें काफी नुकसान हो रहा है।