जींद, 1 नवंबर (हप्र)
दो लाख से ज्यादा की आबादी का शहर। इसके मेन बाजार, इंदिरा बाजार, पालिका बाजार, सर्राफा बाजार, तांगा चौक, झांझ गेट, पंजाबी बाजार की हजारों छोटी- दुकानें और पार्किंग के नाम पर महज 400 वर्ग गज जमीन, जहां मुश्किल से एक वक्त में केवल 20 गाड़ी खड़ी हो सकती हैं। बाकी हजारों गाड़ियां सड़कों पर और सड़कों के साथ खड़ी करना लोगों की मजबूरी है। नतीजा सड़कों पर हर समय लगने वाला जाम।
ींद शहर में नगरपरिषद एक भी पार्किंग अभी तक विकसित नहीं कर पाई है। पुराना शहर रानी तालाब से शुरू होता होता है और झांझ गेट, रामराय गेट, बैंक रोड, टाउन हॉल, पुराना टेलीफोन एक्सचेंज, सफीदों गेट तक फैला हुआ है। इसी क्षेत्र में जींद के लगभग तमाम पुराने और बड़े बाजार हैं। इन बाजारों में सामान्य दिनों में भी हर रोज हजारों लोग खरीददारी के लिए आते हैं। त्यौहारी सीजन में तो इन बाजारों में आने वाले खरीददारों की संख्या कई गुणा बढ़ जाती है। नतीजा यह है कि लोग सड़कों पर और सड़कों के साथ अपनी कार और दुपहिया वाहन खड़ा करने पर मजबूर हैं। जाम में स्कूली बच्चों से लेकर दूसरे यात्री और बाजारों में खरीदारी के लिए आने वाले लोग फंस कर परेशान रहते हैं।
शहर में एक भी बड़ी पार्किंग नहीं होने को पिछले लगभग 10 साल से जींद प्रशासन गंभीरता से ले रहा है। कई बार जिला प्रशासन ने नगर परिषद अधिकारियों के साथ बैठकर रानी तालाब के पास नगर परिषद की हजारों वर्ग गज जमीन पर पार्किंग विकसित करने पर मंथन किया है। यहां पार्किंग स्थल विकसित करने को नगर परिषद हाउस की बैठक में पारित किया गया है, लेकिन अभी तक इसे फाइनल मंजूरी नहीं मिली है। पिछले दिनों नगर परिषद प्रशासन ने रानी तालाब के पास की अपनी इस जमीन पर पार्किंग के लिए मिट्टी का भरत करवाने का मसौदा तैयार किया था। जब यह मसौदा मुख्यालय पर तकनीकी मंजूरी के लिए गया, तो मुख्यालय ने करोड़ों रुपए की लागत से मिट्टी भरवाने को उचित नहीं ठहराया। इसके बाद नगर परिषद प्रशासन यहां बेसमेंट से पार्किंग के निर्माण की योजना पर विचार करने लगा है। नगर परिषद के कार्यकारी अभियंता सतीश कुमार गर्ग के अनुसार जींद के विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ कृष्ण मिड्ढा से बात कर पार्किंग स्थल की योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। शहर में पार्किंग सख्त जरूरत है।