जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 9 अगस्त
देश में स्टडी वीजा पर विदेश भेजने का काम अब बड़ी इंडस्ट्री का रूप ले चुका है लेकिन अभी तक असंगठित ही पड़ा है। देश की जीडीपी में यह वर्ग अच्छी खासी भूमिका निभाने में सक्षम है लेकिन जरूरत इस ओर ध्यान दिए जाने की है ताकि एक तो इस व्यापार में अवैध धंधा न पनपे और विदेश जाने वाले युवाओं को जरूरत पड़ऩे पर उचित मदद भी मिल सके, ऐसे में इस वर्ग को सरकारी संरक्षण मिलना जरूरी है। एक आंकलन के अनुसार विदेशों में स्टडी करने के इच्छुक युवाओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। शहरी ही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्रों के युवा भी विदेश में पढ़ाई करके सैटल होने के अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए कमर कसे हैं। ऐसे में जरूरी है कि वे किसी गलत व्यक्ति या फर्म के चक्कर में नहीं पड़ें बल्कि उनका ख्वाब पूरा करने के लिए सलाहकार को विषय की पूरी जानकारी हो। जरा सी चूक होने पर युवा का भविष्य अंधकार की गहरी गर्त में धसते हुए देर नहीं लगती।
पिछले कई दशक से इस कार्य में लगे विश्वास इंटरनेशनल के चेयरमैन पुरुषोत्तम भट्टी बताते हैं कि विदेशों में शिक्षा के साथ-साथ पैसा कमाने के मौके विद्यार्थियों को मिलते हैं। विद्यार्थियों के परिवारों को भी इस बात का बहुत कम एहसास है कि इसके लिए अलग अलग कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। बहुत बड़ी धनराशि की जिम्मेदारी खुद उठाना पड़ता है। जागरूकता की कमी होने की वजह से लोगों के पास विदेश जाने के पूरे संसाधन नहीं होते। इस सब में वीजा सलाहकार को ही मदद करनी ही पड़ती है। काउंसल वन के संचालक गिरीश दुगाला कहते हैं कि युवा अब अपने भविष्य के शैक्षणिक और करियर पथ की योजना बनाने में लगे हुए हैं। उनके लिए एक विश्वसनीय वीजा सलाहकार होना जरूरी है।