पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 26 फरवरी
पिछले तीन महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसानों के आंदोलन की कमान शुक्रवार को युवाओं के हाथ रही। इस दौरान युवाओं ने किसान और खेती का समर्थन करते हुए कहा दरअसल, केंद्र सरकार किसान को खत्म करके उसकी अगली पीढ़ी को मजदूरी के लिए विवश करना चाहती है। इसलिए यह तीन नये खेतीबाड़ी कानून लाए गए हैं। ऐसे में युवाओं ने संकल्प लिया है कि वह अपने बुजुर्गों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। युवा दिवस के मौके पर मंच से शिक्षा और बेरोजगारी का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। इसके अलावा ऑनलाइन कैंपेन को युवाओं ने जमकर सराहा और कहा कि यह आंदोलन को गति देने का मंच है। शुक्रवार को कुंडली बॉर्डर के धरने को पूरे तीन महीने हो गए हैं। इसके चलते यह दिन युवा किसान दिवस के रूप में संयुक्त मोर्चा ने मनाने का फैसला किया था। इस दौरान युवाओं ने कृषि कानूनों के अलावा निजीकरण, शिक्षा व बेरोजगारी जैसे मुद्दे मंच से उठाए और केंद्र सरकार को हर मोर्चे पर फेल बताया।
मोर्चा के नेताओं ने कहा कि युवा दिवस मनाने से यह सिद्ध किया गया है कि युवा भी आंदोलन में किसानों के साथ खड़े हैं। किसान नेताओं ने मंच से 20 युवाओं के भाषण कराए, जबकि मोर्चा के नेताओं ने खुद को मंच से दूर रखा। साथ ही गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान जान गंवाने वाले नवरीत और आज सुबह असमय मौत के शिकार हुए युवा नवजोत को मुख्य मंच से श्रद्धांजलि दी गई।
‘बेरोजगारी से बढ़ रहे अपराध’
मुख्य मंच से पूरा दिन युवाओं का ही वक्तव्य होता रहा। युवा किसानों ने इस दौरान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। साथ ही बेरोजगारी को वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या बताते हुए बढ़ते अपराधों के प्रति सरकार को उदासीन बताया। युवाओं ने साफ किया कि देश इस समय बेहद कठिन स्थिति से गुजर रहा है। क्योंकि एक तरफ जहां हर क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है, तो वहीं शिक्षा व्यवस्था बेहद मुश्किल बनाई जा रही है। बेरोजगारी दर इस समय सबसे ज्यादा है, जिसके लिए सीधे तौर सरकार की नकारा नीतियां जिम्मेदार हैं। इधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने हाईकोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हुए मजदूर नेता नौदीप कौर को जमानत को सही ठहराया। नौदीप के साथ ही किसान आन्दोलन को समर्थन कर रहे शिवकुमार को भी पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है। इधर दक्षिण भारत से किसानों का जत्था आज कुंडली बॉर्डर पहुंचा। इनमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना से आए किसानों ने एमएसपी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने तीन कृषि कानूनों को किसानों के लिए डेथ वारंट करार दिया। युवा किसान दिवस पर मुजफ्फरपुर बिहार के किसान कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे।