दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 14 जनवरी
हरियाणा में प्राइवेट कंपनियों व इंडस्ट्री में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए रिजर्व करने वाले विधेयक पर राजभवन ने आपत्ति लगाई है। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने इस पर तीन-चार आपत्तियां लगाई हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह विधेयक केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को भेजा था। मंत्रालय से अब वापस यह पूरा केस राज्य सरकार के पास पहुंचा है। अब मुख्य सचिव ने श्रम एवं रोजगार विभाग को यह विधेयक भेजकर इस पर लगी आपत्तियों को क्लीयर करने को कहा। इसके बाद विभाग के मुखिया होने के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों के अलावा एडवोकेट जनरल और एलआर के साथ बैठक कर आपत्तियों को दूर करते हुए नये सिरे से फाइल राजभवन भेजने को कहा है।
मालूम हो, 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा ने चुनावी घोषणा-पत्र में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था। तब भाजपा ने स्पष्ट तौर पर तो ऐसा वादा नहीं किया था, लेकिन स्थानीय युवाओं को नौकरियों में नब्बे प्रतिशत तक रोजगार देने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने का ऐलान जरूर किया था। बाद में संयोग ऐसे बने कि दोनों पार्टियों को मिलकर सरकार बनानी पड़ी। गृह मंत्री विज की अध्यक्षता वाली कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कमेटी 75 प्रतिशत आरक्षण पर सहमत हो गई थी। इसी के चलते राज्य की गठबंधन सरकार ने पहले 75 प्रतिशत आरक्षण को लेकर अध्यादेश जारी कर राज्यपाल के पास भेजा था। राज्यपाल ने इस पर आपत्ति लगाते हुए इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। इसी दौरान नवंबर में हुए विस के मानसून सत्र में सरकार ने 75 प्रतिशत आरक्षण से जुड़ा विधेयक सदन में पास करा लिया। साथ ही, अध्यादेश को वापस ले लिया, हालांकि राज्यपाल के पास कई दिनों तक विधेयक भी लंबित रहा। बाद में उन्होंने विधेयक के तीन-चार प्वाइंट्स पर आपत्ति लगाते हुए उसे केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को भेजा। राज्यपाल ने संविधान के उल्लंघन व अन्य मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा था।
केंद्रीय गृहमंत्री शाह तक पहुंचा मामला
जजपा के लिए यह वादा पूरा करना राजनीतिक रूप से काफी अहम है। इसलिए बीते दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के दौरान भी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह मुद्दा गृह मंत्री के सामने उठाया। उन्हें राजभवन से लगी आपत्तियों के बारे में भी अगवत करवाया। यह दलील दी गई है कि हिमाचल प्रदेश व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में इस तरह के कानून पहले से लागू हैं। गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि राजभवन से जैसे ही गृह मंत्रालय के पास फाइल पहुंचेगी उसे तुरंत वापस भेजा जाएगा ताकि विधेयक कानून का रूप ले सके।
विधेयक में यह प्रावधान
गठबंधन सरकार द्वारा पास किए गए बिल के तहत हरियाणा में स्थापित होने वाली व पहले से चल रही कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट व फर्म में आरक्षण लागू होगा। उन सभी कंपनियों व इंडस्ट्री पर यह लागू होगा, जिनमें कर्मचारियों की संख्या 10 से अधिक है। नई भर्ती पर कानून लागू होगा और 50 हजार रुपये से नीचे तक मासिक वेतन वाले कुल कर्मचारियों में से 75 प्रतिशत मूल रूप से हरियाणा के निवासी लगाने होंगे। सभी कंपनियों को सरकार के पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा और यह बताना होगा कि उनके यहां 50 हजार से कम वेतन वाले कुल कितने पद हैं और इनमें से कितने हरियाणवी मूल के कर्मचारी हैं।
हरियाणा के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2020 को सदन में पास किया जा चुका है। राज्यपाल से कुछ आपत्तियां लगी थीं। उन्हें दूर किया जा चुका है। एक-दो दिन में ही वापस यह बिल राजभवन में भेज दिया जाएगा। बिल पर मुहर लगने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा और तुरंत प्रभाव से नोटिफिकेशन जारी करके इसे लागू किया जाएगा।
-दुष्यंत चौटाला, उपमुख्यमंत्री