हिसार, 28 अगस्त (हप्र)
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रो. नमिता सिंह तथा उनके दो शोधार्थियों को अपशिष्ट कागज के पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) के दौरान डी-इंकिंग के लिए एक नवीन और कुशल विधि नाम से पेटेंट मिला है। प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम को यह पेटेंट 20 वर्ष के लिए प्रदान किया गया है। यह पेटेंट पुनर्चक्रण उद्योग (रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री) तथा परिपत्र अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनोमी) क्षेत्र के लिए विशेष उपयोगी है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई व कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने इस पेटेंट को विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण बताते हुए प्रो. नमिता सिंह व उनकी टीम के शोधार्थियों डॉ. अनीता देवी व डॉ. रजनीश जरयाल को बधाई दी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वैश्विक लकड़ी की कटाई का 42 प्रतिशत हिस्सा कागज बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। एक टन कागज बनाने के लिए 2,700 लीटर तक पानी की आवश्यकता हो सकती है और 93 प्रतिशत कागज पेड़ों से आता है। एक टन कागज को रिसाइकिल करने से लगभग 17 पेड़ और 26,500 लीटर पानी की बचत हो सकती है।
पेटेंट की मुख्य विशेषताएं
दक्षता : यह विधि अपशिष्ट कागज से अपशिष्ट स्याही को हटाने में महत्वपूर्ण रूप से सुधार करती है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च गुणवत्ता वाला पुनर्चक्रित कागज प्राप्त होता है।
किफायती : यह पुनर्चक्रण प्रक्रिया की लागत को कम करता है, जिससे उद्योगों के लिए संधारणीय अभ्यास अधिक सुलभ और लाभदायक बन जाते हैं।
पर्यावरण के अनुकूल : हानिकारक रसायनों के उपयोग को कम कर यह विधि कागज पुनर्चक्रण के पर्यावरणीय प्रभाव को बहुत कम करती है।