उकलाना मंडी, 26 मई (निस)
संघर्ष, अनिश्चितता, युद्ध, हिंसा और विखंडन से त्रस्त समकालीन दुनिया में, कई लोग टूटे हुए और थके हुए दिखते हैं, सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक द्वारा दिया गया एकता, सहिष्णुता और समानता का आह्वान इस माहौल में खो गया लगता है।
उक्त उद्गार श्री सिंह साहिब गुरुद्वारे में बीबी लखबीर कौर ने गुरुमति समागम के दौरान कहे। उन्होंने कहा कि गुरु नानक की बानी में जपुजी साहिब, आसा दी वार, सिद्ध गोष्ठी और लगभग 900 शबद शामिल हैं, जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा हैं।
उनकी मधुर बानी की मुख्य शिक्षा भगवान के लिए तरसने, उन्हें अपने दिल और आत्मा से प्यार करने और आत्मा को पुनर्जीवित करने के लिए उनके साथ एक होने का प्रयास करने में प्रसन्नता और आनंद को दर्शाती है। उनका संदेश है कि गुरु/भगवान सभी के लिए हैं और हर किसी के पास उन्हें पाने की दिव्य क्षमता है, बस उनके बारे में सोचकर, उनका नाम जपकर, एक ईमानदार, बुराई-मुक्त जीवन जीयें।
वह कर्म की अवधारणा, एक व्यक्ति की अपने कार्यों को चुनने और उसके परिणामों को भुगतने की स्वायत्तता का परिचय भी देते हैं। उन्होंने भागदौड़ की जिंदगी में गुरु का नाम जपकर अपने जीवन को सफल बनाएं। समागम के समापन पर अरदास की गई और गुरू का लंगर का प्रसाद श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया।
इस मौके पर श्री सुखमणि साहिब सेवा सोसायटी के प्रधान जगजीत सिंह, हरदीप सिंह, रघुवीर सिंह खालसा, साहिब सिंह, लवली सिंह, राजू ठेठी, सन्नी सिंह, तेजविंद्र सिंह, मनोज कुमार, दलजीत सिंह सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।