अम्बाला शहर, 2 नवंबर (हप्र)
आज अम्बाला शहर के टैगोर गार्डन स्थित गुरुद्वारा साहिब में सिखों के चौथे गुरु गुरु रामदास का प्रकाश उत्सव मनाया गया। इस मौके पर पटना साहिब से आये हुए भाई सर्वजीत सिंह ने रागी जत्थे के साथ मिलकर कीर्तन किया। इस मौके पर लोगों ने मिठाइयां बांटी और गुरु का लंगर लगाया गया। रागी जत्थों ने कीर्तन करके संगत को निहाल करने का काम किया। संगत ने माथा टेककर अरदास की।
जजपा के जिला अध्यक्ष शहरी हरपाल सिंह कम्बोज ने इस मौके पर गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेका और रागी जत्थे के मेंबरों को सिरोपे भेंट किये। उन्होंने बताया कि गुरु राम दास का प्रकाशोत्सव सभी सिखों के लिए बड़ा त्योहार है। वह वर्तमान अमृतसर के संस्थापक थे। इस मौके पर रागी जत्थों ने गुरु रामदास के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु रामदास के बचपन का नाम जेठा था इनका जन्म 9 अक्तूूबर 1534 को चूना मंडी जो अब लाहौर में है, में हुआ था। पिता हरिदास और माता अनूप देवी सहित सभी द्वारा बाल्यकाल में भाई जेठाजी के नाम से बुलाया जाता था। जेठा की भक्ति भाव को देखकर गुरु अमरदास ने भाई जेठा को 1 सितंबर 1574 ईस्वी में गोविंदवाल जिला अमृतसर में गुरु गद्दी सौंपी गई।
16वीं शताब्दी में सिखों के चौथे गुरु रामदास ने एक तालाब के किनारे डेरा डाला जिसके पानी में अद्भुत शक्ति थी। इसी कारण इस शहर का नाम अमृतसर यानी अमृत का सरोवर पड़ा। गुरु रामदास के पुत्र ने तालाब के मध्य एक मंदिर का निर्माण कराया जो आज अमृतसर स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।