हिसार, 1 फरवरी (हप्र)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी। इसके लिए विश्वविद्यालय ने नेशनल क्रॉप साइंस, बीकानेर (राजस्थान), माई किसान एग्रो निमच (मध्यप्रदेश), फेम सीड्स (इंडिया) व उत्तम सीड्स हिसार के साथ तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध किसानों तक नहीं पहुंचेगा तब तक उसका कोई लाभ नहीं है। इसलिए इस तरह के समझौतों से विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां विकसित उन्नत फसल किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सरसों की किस्म आरएच 1424 समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए उपयुक्त है, जबकि आरएच 1706 एक मूल्य वर्धित किस्म है।
कुलपति ने बताया कि हरियाणा पिछले कई वर्षों से सरसों फसल की उत्पादकता में देश में शीर्ष स्थान पर है। यह मुकाम विश्वविद्यालय में सरसों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास तथा किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण ही संभव हुआ है। अब तक यहां अच्छी उपज क्षमता वाली सरसों की कुल 21 किस्मों को विकसित किया गया है।
इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, एसवीसी कपिल अरोड़ा, तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. करमल सिंह, डॉ. रामअवतार, आईपीआर सेल के प्रभारी डॉ. विनोद सांगवान भी उपस्थित रहे।