चंडीगढ़, 21 जुलाई (ट्रिन्यू)
लंबे समय से बरसाती पानी से होने वाली तबाही को लेकर आमने-सामने हो रहे उत्तर प्रदेश व हरियाणा अब जमीनी विवाद में उलझ गए हैं। इस जमीनी विवाद के कारण यमुनानगर व करनाल जिलों में कई बार दोनों राज्यों के किसानों के बीच खूनी संघर्ष हो चुका है। करनाल जिला के गांव चंद्राव की 1065 एकड़ जमीन दीक्षित अवार्ड के तहत उत्तर प्रदेश शासन को हस्तांतरित होने के बावजूद सहारनपुर का जिला प्रशासन इस जमीन को किसानों की खतौनी में चढ़ाने को तैयार नहीं है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस संबंध में करनाल के जिला उपायुक्त को सहारनपुर के जिलाधिकारी के साथ तालमेल बनाकर चंद्राव गांव के लोगों को न्याय दिलाने के आदेश जारी किए हैं,इसके बाद भी दोनों राज्यों के अधिकारी समस्या के समाधान के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।
इंद्री के गांव चंद्राव के कई लोगों ने चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात कर समस्या के समाधान की मांग की थी। अब शामली-अंबाला हाईवे का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते भू-माफिया द्वारा उत्तर प्रदेश शासन से मिलीभगत कर हरियाणा के क्षेत्रफल की भूमि में उत्तर प्रदेश के गलत गांवों को दर्शाकर यह भूमि हड़पने की कोशिश की है। गांव चंद्राव के लोगों ने मुख्यमंत्री को बताया कि यह भूमि उनके जीवन यापन का मुख्य साधन है, लेकिन करनाल व सहारनपुर का जिला प्रशासन लोगों को न्याय दिलाने की दिशा में कोई काम नहीं कर रहा है। हाल ही में इंद्री के भाजपा विधायक रामकुमार कश्यप ने भी इस संबंध में करनाल के जिला उपायुक्त से वार्ता कर उन्हें मुख्यमंत्री के निर्देशों की जानकारी दी है, लेकिन समस्या सुलझने की बजाय उलझी हुई है।
गांव चंद्राव की सरपंच सुषमा रानी, राम सिंह, देवेंद्र मित्तल टीटू, नरेश राजपाल, बलविंद्र सिंह, ईश्वर सिंह, सतपाल सिंह, जवाहर लाल, जसबीर सिंह और राजकुमार ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में कहा कि बंदोबस्त रिकार्ड 1904-1909 के मुताबिक चंद्राव गांव का रकबा 2550 एकड़ है। दीक्षित अवार्ड के समय इस गांव की भूमि से यमुना नदी के बहाव के कारण 124 एकड़ रकबा उस समय बुर्द हुआ था, जबकि शेष 42.3 एकड़ बरामद था।
इसकी रिपोर्ट इंद्री तहसील की ओर से नुकड़ तहसील में भेज दी गई थी। क्योंकि शेष 1024 एकड़ भूमि यमुना नदी के कटाव के कारण उस समय बुर्द थी, जिसका रिकार्ड तहसील इंद्री ने 2017 में सहारनपुर के डीएम कार्यालय को नक्शा और खतौनी के साथ भेज दिया था।
चंद्राव गांव के संबंध में फंसा पेच
ग्रामीणों ने बताया कि इस रिकार्ड के संबंध में सहारनपुर के जिला प्रशासन ने साल 2020 में चंद्राव गांव का रकबा 1065 एकड़ मानते हुए अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन को भेज दी थी। करीब चार साल के बाद भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों ने इस संबंध में कोई कार्य नहीं किया। विधायक रामकुमार कश्यप के अनुसार चंद्राव गांव के लोगों की रोजी रोटी का यही जरिया है। इस भूमि पर अब चूंकि हाईवे निकल रहा है तो ऐसे में लोगों को जमीन के मुआवजे की आस होगी, लेकिन जमीन ही उनके नाम नहीं चढ़ी है तो इस स्थिति में भूमाफिया इसका फायदा उठा सकता है।