चंडीगढ़, 17 नवंबर (ट्रिन्यू)
पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश के मौजूदा विधानसभा भवन पर दावेदारी छोड़कर किसी नए स्थान पर विधानसभा का भवन बनाने से राजधानी चंडीगढ़ पर हरियाणा की दावेदारी कमजोर पड़ेगी। जब चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा का 60-40 के अनुपात में हिस्सा है तो जमीन के बदले जमीन देने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब लंबे समय से हरियाणा के लोगों से अन्याय कर रहा है।
सतलुज यमुना लिंक नहर का पानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दिया जा रहा है। पंजाब को हरियाणा के हिंदी भाषी क्षेत्र भी लौटाने पर विचार करना चाहिए। रविवार को चंडीगढ़ से जारी बयान में सैलजा ने कहा कि हरियाणा की नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ द्वारा रेलवे स्टेशन से आईटी पार्क को जाने वाली सड़क के पास 10 एकड़ जमीन दी जा रही है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद चंडीगढ़ इस जमीन को देने के लिए तैयार हुआ है। हरियाणा अपने हिस्से की जमीन पर नई विधानसभा बना सकता है, ऐसे में जमीन के बदले जमीन देने का कोई औचित्य नहीं है। हरियाणा सरकार को इस बारे में सोच समझकर कदम उठाना चाहिए।