चंडीगढ़, 2 सितंबर (ट्रिन्यू)
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में सबसे अग्रणी भूमिका में बेशक पंजाब आगे है, लेकिन किसानों ने अपना ‘रणक्षेत्र’ हरियाणा को बनाया हुआ है। दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 9 महीनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। पिछले दिनों करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा के सीएम आमने-सामने भी हो चुके हैं। कैप्टन अमरेंद्र की टिप्पणी पर सीएम खट्टर पलटवार कर चुके हैं।
किसानों की मांगों और उनके आंदोलन पर हो रही राजनीति से इतर, एक अहम पहलू यह भी है कि कृषि क्षेत्र में हरियाणा अब पंजाब से कई मामलों में आगे निकल चुका है। भले ही, नवंबर-1966 में पंजाब से अलग होने के बाद हरियाणा अलग सूबे के रूप में देश के मानचित्र पर आया, लेकिन विकास के मामले में अब पंजाब को काफी पीछे छोड़ चुका है। टोक्यो ओलंपिक में पदक लाने की बात हो या फिर देश को खाद्यान्न क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की, हर मामले में हरियाणा आगे ही है।
हरियाणा में सत्तापक्ष और विपक्षी दल के नेताओं में भी आर्थिक चुनौतियों पर बहस आम बात है, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि भौगोलिक रूप से पंजाब के मुकाबले काफी छोटा होने के बावजूद हरियाणा की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है। सरकारी आंकड़े भी इसी ओर संकेत कर रहे हैं। पंजाब में चुनिंदा फसलों को ही एमएसपी पर खरीदा जाता है, लेकिन अब तक 21 फल-सब्जियों के अलावा 11 फसलों को एमएसपी पर खरीद रहर हो। हर सीजन में एकाध नयी फसल एमएसपी की सूची में शामिल हो रही है। यही कारण है कि हरियाणा के सीएम खट्टर अकसर पंजाब को यह चुनौती देते रहे हैं कि अगर वे किसानों के सच्चे हितैषी हैं तो फसलों की खरीद हरियाणा की तर्ज पर एमएसपी पर करें। पंजाब में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिद्धू भी फसलों की खरीद मामले में हरियाणा की नीति की सराहना कर चुके हैं। वे तो पंजाब सरकार को यह नसीहत भी दे चुके हैं कि राज्य के किसानों की फसलों की खरीद हरियाण की तर्ज पर की जाए।
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच किसान आंदोलन और किसानों पर हुए लाठीचार्ज के मुद्दे को लेकर चल रहे वाकयुद्ध के बीच हरियाणा सरकार के अधिकारिक आंकड़े काफी रोचक हैं। हरियाणा की कृषि विकास दर 6.3 प्रतिशत है तो पंजाब में यह दर महज 2.1 प्रतिशत आंकी गई है। हरियाणा ने प्रदेश में 11 चीनी-मिलें स्थापित की हैं, जबकि पंजाब में 15 में से 9 ही चीनी मिलें चालू हालत में हैं।
11 फसलों की खरीद एमएसपी पर
हरियाणा में जिन 11 फसलों को एमएसपी पर खरीदा जा रहा है, उनमें गेंहू, जौ, चना, सूरजमुखी, सरसों, धान, मूंग, मक्का, बाजरा, कपास व मूंगफली शामिल हैं। पंजाब अभी तक तीन फसलों – गेंहू, धान व सूरजमुखी को ही एमएसपी पर खरीद रहा है। हरियाणा में 21 प्रकार के फलों व सब्जियों को ‘भावांतर भरपाई योजना’ में शामिल किया है।
17 लाख किसानों को 4 हजार करोड़ मुआवजा
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ में अभी तक हरियाणा के 17 लाख किसानों को लगभग 4 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा मिल चुका है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से, 34 लाख से अधिक किसानों को 7 हजार करोड़ रुपये की राशि किसानों को हुए अन्य नुकसान की भरपाई की एवज में दी गई है।