दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 जून
हरियाणा में लोकसभा चुनावों के नतीजे भाजपा की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे। लेकिन भाजपा पांच सीटों पर हुई जीत को भी अपने लिए सकारात्मक मान रही है। हरियाणा जैसे राज्य में आमतौर पर दस वर्षों के कार्यकाल के बाद इस तरह के नतीजे पहले कभी नहीं आए। लगातार सवा नौ वर्षों से अधिक समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले मनोहर लाल खट्टर का राजनीतिक कद अब और बढ़ने की संभावना है। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिलना लगभग तय माना जा रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है। ऐसे में इस तरह की भी चर्चाएं हैं कि मनोहर लाल के संगठन के अनुभव को देखते हुए उन्हें प्रधान की जिम्मेदारी दी जा सकती है। अगर ऐसा नहीं होता तो मनोहर लाल को मोदी कैबिनेट में हेवीवेट मंत्री बनाया जा सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मनोहर लाल की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने ‘75 पार’ का नारा दिया था। लेकिन भाजपा केवल चालीस ही सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी।
चुनावी नतीजों के बाद यह माना जा रहा था कि इस प्रदर्शन के लिए मनोहर लाल पर गाज़ गिर सकती है। मोदी चूंकि हरियाणा मामलों के प्रभारी रह चुके हैं। ऐसे में वे हरियाणा के लोगों की नब्ज को अच्छे से समझते हैं। इसीलिए उन्होंने चालीस सीटों को बेहतरीन प्रदर्शन माना और इसके लिए मनोहर लाल की पीठ थी थपथपाई। आमतौर पर पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार सरकार बनाने के हरियाणा में कम ही उदाहरण हैं। उनसे पहले पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस दूसरी बार सत्ता में आई थी।
मनोहर लाल फिलहाल दिल्ली में ही डटे हुए हैं। 12 मार्च को जब उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और उनकी जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उनके विरोधियों ने इस घटनाक्रम को अपने लिए राजनीतिक तौर पर फायदेमंद माना। 13 मार्च को ही भाजपा नेतृत्व ने मनोहर लाल ने करनाल लोकसभा से प्रत्याशी घोषित कर दिया। उसी दिन यह तय हो गया था कि मनोहर लाल अब केंद्र की राजनीति करेंगे। करनाल में लोकसभा चुनावों के दौरान उनके लिए नकारात्मक माहौल बनाने की भी हरसंभव कोशिश हुई। मनोहर लाल ने करनाल लोकसभा सीट पर 2 लाख 35 हजार 577 मतों के अंतर से जीत हासिल की। हरियाणा में भाजपा के कुल पांच सांसद बने हैं। मनोहर लाल का जीत का अंतर इन सबमें सबसे अधिक है। अहम बात यह है कि करनाल सीट के ग्रामीण इलाकों में मनोहर लाल के खिलाफ माहौल बताया जा रहा था लेकिन वे इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी नौ विधानसभा सीटों से चुनाव जीते हैं। करनाल और पानीपत सिटी सीट को छोड़कर बाकी सात हलके ग्रामीण बाहुल्य ही है।
बड़ी जिम्मेदारी मिलनी तय
जिस तरह के राजनीतिक हालात प्रदेश में हैं और तीन महीने के बाद विधानसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में मनोहर लाल को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलनी लगभग तय है। दिल्ली के गलियारों में तो इस तरह की भी चर्चाएं हैं – अगर मनोहर लाल को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है तो उन्हें वित्त जैसा बड़ा मंत्रालय भी मिल सकता है। हरियाणा में अपने दूसरे कार्यकाल में वित्त विभाग मनोहर लाल ने अपने पास ही रखा हुआ था। उन्होंने हरियाणा में भाजपा पार्ट-।। के पांचों बजट खुद ही पेश किए। वित्तीय मामलों में महारत हासिल कर चुके मनोहर लाल के कई ऐसे फैसले हैं, जो हरियाणा में मील का पत्थर साबित होंगे। व्यवस्था में सुधार और ऑनलाइन व्यवस्था में थोड़ी-बहुत खामियां बेशक हो सकती हैं लेकिन मनोहर लाल की सोच पर कभी सवाल नहीं उठे।
प्रदेश से बनाए जा सकते हैं दो से तीन मंत्री
इस बार चूंकि केंद्र में भाजपा पूर्ण बहुमत में नहीं है। एनडीए की सरकार बन रही है। ऐसे में मंत्रालयों के बंटवारे में भी भाजपा को समझौते करने होंगे। यही ऐसा कारण है, जिस वजह से केंद्र में हरियाणा का कोटा थोड़ा घट सकता है। फिर भी यह माना जा रहा है कि कम से कम दो मंत्री जरूर हरियाणा से बनेंगे। तीसरा अगर बनता है तो उसे आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व कृष्णपाल गुर्जर लगातार दस वर्षों से मोदी कैबिनेट में शामिल रहे। इन दोनों के फिर से कैबिनेट में शामिल होने की संभावना है। मौजूदा राजनीतिक हालात में किसी एक का पता कट भी जाए, तो कोई बड़ी बात नहीं है। राव इंद्रजीत सिंह ने गुड़गांव व केपी गुर्जर ने फरीदाबाद लोकसभा से भाजपा टिकट पर जीत की हैट्रिक लगाई है। भिवानी-महेंद्रगढ़ से लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने वाले धर्मबीर सिंह का नंबर उसी सूरत में लगता है, अगर भाजपा जाट कोटे से मंत्री बनाती है।